आने वाली पीढ़ी योग्य शिक्षक के हाथों सुरक्षित – महामहिम राष्ट्रपति : रामनाथ कोविद ने शिक्षक दिवस के अवसर पर वर्चुअल माध्यम से देश भर के 44 शिक्षकों को उनके विशेष कार्य के लिये “राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2021 से किये सम्मानित
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आने वाली पीढ़ी योग्य शिक्षक के हाथों सुरक्षित – महामहिम राष्ट्रपति : रामनाथ कोविद ने शिक्षक दिवस के अवसर पर वर्चुअल माध्यम से देश भर के 44 शिक्षकों को उनके विशेष कार्य के लिये “राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2021 से किये सम्मानित
भुवन वर्मा बिलासपुर 5 सितंबर 2021
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
नई दिल्ली — विद्यार्थियों की अंतर्निहित प्रतिभा के संयोजन की प्राथमिक जिम्मेदारी शिक्षकों की होती है। एक अच्छा शिक्षक व्यक्तित्व-निर्माता , समाज-निर्माता और राष्ट्र-निर्माता होता है। संवेदनशील शिक्षक अपने व्यवहार, आचरण व शिक्षण से विद्यार्थियों का भविष्य संवार सकते हैं। प्रत्येक विद्यार्थी की विभिन्न क्षमतायें , प्रतिभायें , मनोविज्ञान , सामाजिक पृष्ठभूमि और पर्यावरण होता है। इसलिये प्रत्येक विद्यार्थी की विशेष जरूरतों , दिलचस्पियों और क्षमताओं के अनुरूप प्रत्येक विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर शिक्षकों को जोर दिया जाना चाहिये।
उक्त बातें महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने शिक्षक दिवस के अवसर पर वर्चुअल माध्यम से देश भर के 44 शिक्षकों को उनके विशेष कार्य के लिये “राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2021” से सम्मानित करते हुये कही। बता दें यह दूसरा मौका है जब कोरोना महामारी के चलते राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार वर्चुअल माध्यम से प्रदान किया गया। राष्ट्रपति ने 44 शिक्षकों में 10 महिलाओं के शामिल होने पर विशेष प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि शिक्षक के रूप में महिलाओं की भूमिका सदैव प्रभावशील रही है। राष्ट्रपति ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी शिक्षकों को उनके विशिष्ट योगदान के लिये बधाई देते हुये कहा कि ऐसे शिक्षक उनके इस विश्वास को मजबूत करते हैं कि आने वाली पीढ़ी हमारे योग्य शिक्षकों के हाथों में सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि सभी के जीवन में शिक्षकों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है। लोग अपने शिक्षकों को जीवन भर याद करते हैं , जो शिक्षक अपने छात्रों का स्नेह और भक्ति से पालन-पोषण करते हैं उन्हें अपने छात्रों से हमेशा सम्मान मिलता है। उन्होंने आगे कहा शिक्षकों का दायित्व है कि वह हर विद्यार्थियों में पढ़ने की रूचि को जागृत करें। एक संवेदनशील शिक्षक अपने व्यवहार , आचरण और शिक्षण से छात्रों का भविष्य संवारते हैं। हमारे यहां शिक्षा की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिये जिससे छात्रों में नागरिक के मूल कर्तव्यों के प्रति निष्ठा जगायी जा सके , भारत के प्रति प्रेम की भवना सुदृढ़ हो तथा बदलते वैश्विक परिदृश्य में अपनी भूमिका के बारे में सचेत रह सकें।राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से पूरी दुनियां कोरोना महामारी से पैदा हुये संकट से गुजर रही है। ऐसे में सभी स्कूल-कॉलेज बंद होने के बाद भी शिक्षकों ने बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकने दी। इसके लिये शिक्षकों ने बहुत ही कम समय में खुद को नये तरीके से ढालकर शिक्षा प्रक्रिया को जारी रखा। राष्ट्रपति ने शिक्षकों से अपने छात्रों को एक सुनहरे भविष्य की कल्पना करने और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने की योग्यता हासिल करने के लिये प्रेरित करने और सक्षम बनाने की अपील की। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को याद करते हुये कहा कि उन्होंने एक वैज्ञानिक के रूप में अपनी सफलता का श्रेय अपने शिक्षकों को दिया। राष्ट्रपति कोविंद ने संबोधन में अपने शिक्षकों को याद करते हुये कहा कि सबके जीवन में अपने शिक्षकों का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। आज तक मुझे अपने आदरणीय शिक्षकों की याद आती रहती है। मैं खुद को सौभाग्यशाली महसूस करता हूं कि राष्ट्रपति का कार्यभार ग्रहण करने के बाद मुझे अपने स्कूल में जाकर , अपने वयोवृद्ध शिक्षकों का सम्मान करने और उनका आशीर्वाद लेने का अवसर मिला था। इससे पहले आज सुबह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन को जन्मदिन के मौके पर श्रद्धाजंलि दी। फिर शिक्षण के नये तरीके विकसित करने में योगदान देने के लिये देश भर से 44 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया। बताते चलें शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार पहली बार वर्ष 1958 में शुरू किये गये थे जिसका उद्देश्य युवाओं की बुद्धि एवं भविष्य को आकार देने में शिक्षकों की उत्कृष्टता और प्रतिबद्धता को मान्यता देना था।
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