भूपेश सरकार 6 सौ गाड़ियों में 20 हजार कार्यकर्ताओं के जत्था साथ होंगे 13 को दिल्ली रवाना, भारत सरकार के खिलाफ जंगी प्रदर्शन
भुवन वर्मा, बिलासपुर 7 नवंबर 2019
धान के समर्थन मूल्य पर भारत सरकार के इंकार के बाद छत्तीसगढ़ सरकार 15 नवंबर को दिल्ली में मार्च करने जा रही है। इसके लिए युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू हो गई है। मार्च में हिस्सा लेने 600 गाड़ियों में 20 हजार कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता 13 नवंबर को दिल्ली रवाना होंगे। भारत सरकार के खिलाफ दिल्ली में किसी राज्य सरकार का अब तक यह सबसे बड़ा प्रदर्शन होगा। एक बार अजीत जोगी सरकार ने भी धान के समर्थन मूल्य को लेकर दिल्ली में गिरफ्तारी दी थी। लेकिन, उसमें सिर्फ सीएम अजीत जोगी और उनके मंत्री एवं कुछ विधायक शामिल थे।
ज्ञातव्य है, धान के उपार्जन में केंद्र सरकार की सीधी “ना” के जवाब में कांग्रेस ने “चलो दिल्ली” का नारा दिया है। सीएम भूपेश बघेल इस आंदोलन को लीड करेंगे। कांग्रेस इस दिल्ली मार्च को सफल नहीं बल्कि सफलतम बनाने की पुरज़ोर क़वायद में जुट गई है।
जो ठान लिया फिर वो करना है वाली तासीर के सीएम भूपेश बघेल ने दरअसल दिल्ली मार्च का फ़ैसला यूँ ही नहीं लिया है। यदि केंद्र सरकार नहीं मानेगी, और सेंट्रल पुल में सूबे का धान शामिल नहीं किया तो प्रदेश में धान का स्टॉक सवाल ही नहीं मसला बन जाएगा। तीस हज़ार मीट्रिक टन धान का आखिर किया क्या जाएगा। और इसलिए दिल्ली मार्च का फ़ैसला लिया गया।
प्रस्तावित दिल्ली मार्च का कार्यक्रम तेरह नवंबर का है, याने तेरह नवंबर को क़ाफ़िला दिल्ली के लिए कूच करेगा। इस क़ाफ़िले की कमान सम्हालेंगें कांग्रेस से संगठन प्रभारी पी एल पुनिया, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम और खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल।
इस यात्रा में शामिल होने के लिए कांग्रेस ने जो संसाधन की व्यवस्था की है वो दिलचस्प है। घोषित तौर पर जो व्यवस्था है वह यह है कि जिन्हें चलना है वे अपने साधन खुद तय करें याने वाहन भी डीज़ल भी। कांग्रेस संगठन टेंट पंडाल और राशन लेकर चलेगा। 13 नवंबर से शुरु हुआ सफर 15 नवंबर को दिल्ली में ख़त्म होगा, और इस बीच खाने पीने की व्यवस्था तंबू गाड़ कर की जाएगी। आप कह सकते हैं कि तीन दिन के इस सफ़र में नदी किनारों पर कई पंडाल लगेंगे जहां भोजन पानी और क्षणिक आराम की व्यवस्था होगी।
रायपुर से दिल्ली की दूरी सड़क से तय करेगा लेकिन रास्ता कौन सा होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं किया गया है। यह रास्ता महाराष्ट्र या मध्यप्रदेश से होकर तय किया जा सकता है।
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As they pass through the biliary tree, these stones may cause obstructions if they are lodged in the bile duct.
Сверление скважин на водные ресурсы — это ключевой этап в обустройстве личной системы водной системы дачного коттеджа. Этот процесс содержит подготовку территории, анализ грунта и оценку подземных вод местности, чтобы найти лучший участок для размещения скважины. Расстояние до воды зависит от особенностей местности, что определяет её категорию: верховодка, песчаная скважина или глубинная – https://techno-voda.ru/avtomat-gorenija-siemens-loa24-173a27-osobennosti/ . Правильно спроектированная водная скважина обеспечивает чистую и бесперебойную воду в любое время года, исключая риск обмеления и попадания примесей. Технические достижения дают возможность механизировать использование скважины, упрощая её использование для домашнего хозяйства.
После бурения скважины необходимо обустроить систему водоснабжения, чтобы она была максимально эффективной и практичной. Обустройство заключается в установку насосного оборудования, подключение фильтров и развод водопроводной системы. Также важно предусмотреть систему управления, которая будет следить за напор и объём потребляемой воды. Изоляция от холода и постоянная эксплуатация в холодное время года также остаются необходимыми. С профессиональным подходом к разведке и монтажу удастся получить жилище бесперебойной водой, придавая удобство удобной и современной.
Ленинградская область отличается трудной геологической структурой, что превращает задачу пробивки скважин на воду уникальным в каждом участке. Регион представляет собой многообразие основ и подземных слоев, которые необходимы для специализированный подбор при определении точки и метки создания. Водные ресурсы может располагаться как на неглубокой глубине, так и доходить до нескольких десятков метров, что определяет трудоемкость процесса.
Одним из основных факторов, формирующих способ добычи (https://1profnastil.ru/novosti/ponimanie-rotornogo-bureniya-skvazhin.html ), выступает геология и расположение подземной воды. В Ленинградской области чаще всего создают артезианские источники, которые обеспечивают доступ к качественной и надежной воде из глубоких слоев. Такие скважины отличаются продолжительным сроком использования и качественным качеством ресурса, однако их бурение нуждается в больших средств и уникального оснащения.
Процесс сверления в регионе предполагает использование инновационных аппаратов и инструментов, которые могут оперировать с каменистыми породами и предотвращать возможные обрушения грунта скважины. Необходимо помнить, что необходимо учитывать санитарные требования и правила, так как вблизи нескольких населённых мест находятся охраняемые водные зоны и природоохранные территории, что заставляет особый подход к буровым мероприятиям.
Вода из глубоких источников в Ленинградской области характеризуется отличной чистотой, так как она укрыта от вредных веществ и обогащена гармоничный состав полезных веществ. Это превращает такие скважины востребованными для коттеджей и заводов, которые ценят стабильность и стабильное качество водного ресурса.