बस्तर की बेटी पर्वतारोही नैना धाकड़ ने एवरेस्ट फतह कर फहराया तिरंगा : भूपेश बघेल ने दी शुभकामनाओं के साथ दी बधाई

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बस्तर की बेटी पर्वतारोही नैना धाकड़ ने एवरेस्ट फतह कर फहराया तिरंगा : भूपेश बघेल ने दी शुभकामनाओं के साथ दी बधाई

भुवन वर्मा बिलासपुर 3 जून 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

रायपुर – छत्तीसगढ़ के नक्सली हिंसा प्रभावित बस्तर की बेटी पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ ने विश्व के सबसे ऊंचे शिखर माउंट एवरेस्ट और विश्व की चौथी ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने की बड़ी उपलब्धि हासिल की है। बता दें कि नैना बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर से दस किलोमीटर स्थित एक्टागुड़ा गांव की रहने वाली हैं जो दस साल से पर्वतारोहण में सक्रिय हैं।नैना जब छोटी थी तब ही उनके पिता चल बसे थे। तब नैना की मां ने पेंशन की राशि से परिवार का पालन पोषण किया। कमजोर आर्थिक स्थितियों में नैना ने जगदलपुर स्थित महारानी लक्ष्मीबाई कन्या हायर सेकंडरी स्कूल से हायर सेकंडरी और बस्तर विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई करने के दौरान वह महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई से जुड़ीं।जहां से पर्वतारोहण की प्रेरणा मिली और वर्ष 2009 से इस क्षेत्र में सक्रिय हुईं। यहां निश्चित रूप से नैना कि माताजी को श्रेय जाता है जो उन्होंने नैना के पर्वतारोहण जैसे कम चुने जाने वाले फील्ड पर सपोर्ट किया।
गौरतलब है कि विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट 8848.86 मीटर है। वहीं के 2 और कंचनजंगा के बाद विश्व का चौथे नंबर का पर्वत शिखर माउंट ल्होत्से है। माउंट ल्होत्से की ऊंचाई 8516 मीटर है। नेपाल में छत्तीसगढ़ के जगदलपुर की पर्वतारोही नैना धाकड़ माउंट एवरेस्ट फतह करने के प्रयास में अत्यधिक थकान के कारण बीमार हो गई थी। जैसे ही रायगढ़ की पर्वतारोही याशी जैन को यह पता चला तो बिना समय गंवाए वो पर्वतारोही नैना की सकुशल वापसी मे जुट गईं। बता दें कि याशी जैन अपने दो प्रयासों के बावजूद माउंट एवरेस्ट पर फतह नहीं कर पायी थी और दोनों बार माऊंट एवरेस्ट के टॉप से कुछ ही दूरी से खराब मौसम के कारण लौटना पड़ा था । बेस कैम्प से भी कई मुश्किलों के बावजूद सुरक्षित काठमांडू आ गई थी । शीघ्र ही रायगढ़ छत्तीसगढ़ लौटने वाली थी। जबकि पर्वतारोही नैना धाकड़ अपने एक्सपिडीसन को पूरा करने की तैयारी कर रही थी। याशी काठमांडू से लगातार पर्वतारोही नैना के एक्सपीडिशन पर नजर रख रही थी। एक जून की सुबह नैना का एक्सपिडीसन पूर्ण हो जाना था और टॉप पर पहुंच जाना था, लेकिन दोपहर तक जब कोई समाचार नहीं आया तो याशी चिंतित हो गई और नैना की कंपनी से लगातार संपर्क की कोशिश करने लगी। बड़ी मुश्किल से लगभग दोपहर दो बजे याशी को पता चला कि नैना अत्यधिक थकान के कारण बीमार हो गई है और माउंट एवरेस्ट से नीचे आने की हिम्मत नहीं कर कर पा रहीं हैं । ऐसे मे याशी ने हिम्मत जुटाई और तुरंत छत्तीसगढ़ के प्रथम माउंट एवरेस्टर राहुल गुप्ता (अंबिकापुर) और अपने पिता अखिलेश जैन (रायगढ़) से संपर्क साधा और रिक्वेस्ट की नैना की हेल्प करें।इसके बाद तुरंत ही बस्तर जिला प्रशासन से संपर्क साधा गया। फिर जगदलपुर मुख्यालय में कलेक्टर रजत बंसल और एसडीएम गोकुल राऊते को पूरी घटना की जानकारी दी गयी । उन्होने तुरंत नेपाल स्थित इंडियन एम्बेसी से बात की और संबंधित कंपनियों से सम्पर्क साधा । प्रशासन के हरकत मे आते ही तुरंत नैना के लिये रेस्क्यू आपरेशन शुरू हो गया और वहाँ के एक्सपर्ट शेरपा नैना को रेस्क्यू करने ऊपर बढ़ गये । शाम छह बजे तक नैना को रेस्क्यू करके कैंप चार तक ले आया गया था और अब वह खतरे से बाहर है। पर्वतारोही याशी की तत्परता और सहृदयता से पर्वतारोही नैना का रेस्क्यू सफल हो सका है।

मुख्यमंत्री भूपेश ने दी बधाई,,,,,,,

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर की पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ द्वारा विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करने पर उन्हें बधाई और शुभकामनायें देते हुये उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है। सीएम बघेल ने कहा है कि नैना ने अपने दृढ़ संकल्प ,  इच्छाशक्ति तथा अदम्य साहस से विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर विजय प्राप्त कर अपनी इस उपलब्धि से छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया है।

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