छत्तीसगढ़ के किसान भाइयों के लिए अनुकरणीय ….ब्लैक राइस की खेती कर राधेश्याम चंद्रा ने कृषि में किया नवाचार
छत्तीसगढ़ किसान भाइयों के लिए अनुकरणीय ….ब्लैक राइस की खेती कर राधेश्याम चंद्रा ने कृषि में किया नवाचार
भुवन वर्मा बिलासपुर 1 जून 2021
जांजगीर । मालखरौदा विकासखंड के ग्राम कटारी के कृषक ने ब्लैक राइस की खेती कर मुनाफा कमाया. सफल कृषक राधेश्याम चंद्रा ने 70 डिसमिल में ब्लैक राइस की खेती किया था. परंपरागत खेती के साथ ही क्षेत्र के किसान कृषि विविधिकरण को भी अपना रहे हैं. उन्होंने ब्लैक राइस (चाकहाओ) की खेती की. इस बार उनके यहां से अन्य किसान भी बीज लेकर पौध लगाने की तैयारी में जुटे हैं. काला चावल पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसके चलते बाजार में इसका भाव अन्य चावल के तुलना में काफी अधिक मिलता है. खेती से अधिक लाभ कमाने की जद्दोजहद में जुटे किसानों के लिए क्षेत्र के गांव कटारी के किसान राधेश्याम चंद्रा प्रेरणा स्रोत हो रहे हैं. उन्होंने मालखरौदा क्षेत्र में पहली बार ब्लैक राइस यानि काला चावल की खेती कर मिसाल कायम की है. इस नवाचार से कृषि की नई तकनीक को बढ़ावा मिलेगातथा लोग अधिक से अधिक प्रेरित होकर ब्लेक राईस की खेती कर पायेंगे जिससे पौष्टिक चावल लोगों को मिल पायेगा ।
सफल कृषक राधेश्याम चंद्रा …
पौष्टिकता के साथ ही एंटी ऑक्सीडेंट भी…..ब्लेक राइस
कृषि विज्ञानिकों के अनुसार ब्लैक राइस काले रंग का चावल होता है. इसमें एंटी अक्सीडेंट की मात्रा सर्वाधिक मानी जाती है. इसमें कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने का भी गुण होता है. इसमें विटामिन ई, बी के साथ ही कैल्सियम, मैगनीशियम, आयरन, और जिंक की मात्रा भी अधिक होती है. कार्बोहाईड्रेड की मात्रा कम होने से ब्लैक राइस शुगर रोगियों के लिए भी लाभकारी होता है. बीज लेकर कई किसान आने वाले सीजन में इसकी रोपाई की तैयारी में है.
बेटों की प्रेरणा से पहली बार की खेती……..
कृषक राधेश्याम चंद्रा ने बताया कि उसके बेटे बाहर में रहते है जिन्होंने इस खेती को करने की सलाह दी. इस खेती के गुण लाभ के संबंध में बताया. इस तरह उन्होंने अपने बेटों की प्रेरणा से पहली बार ब्लैक राइस की खेती का विचार किया. उत्पादन को देख पति पत्नी दोनों बहुत खुश होने की बात कही. कम लागत में ब्लैक राइस की खेती में अधिक उत्पादन मिलने के बाद किसान ने अब 5 से लेकर 10 एकड़ में इस फसल को लगाने की क तैयारी कर रहे हैं.
उक्त जानकारी रमेश चंद्र बालको में कार्यरत उनके सुपुत्र ने दी