छत्तीसगढ़ सरकार के आरक्षण निर्णय, जो नही समझे वही फैला रहे अफवाह, भूपेश सरकार के फैसले को हाई कोर्ट ने गलत नहीं कहा – सतीशचंद वर्मा महाधिवक्ता

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भुवन वर्मा, बिलासपुर 13 अक्टूबर 2019

बिलासपुर प्रेस क्लब में आज हमर पहुना तहत छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा पत्रकारों से मुलाकात अपनी बात सांझा किये

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के महाअधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने पिछड़ा वर्ग को राज्य सरकार द्वारा आरक्षण प्रतिशत में वृद्धि किये जाने के बाद हाईकोर्ट द्वारा स्टे दिए जाने को लेकर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि सरकार के निर्णय पर कोर्ट ने अभी अपना अभिमत नही दिया है और सरकार के जवाब पेश करने तक के लिए आरक्षण के ओबीसी हिस्से पर ही स्टे दिया है ।जो लोग सरकार के निर्णय का विरोध कर रहे है वे आरक्षण की वस्तुस्थिति से वाकिफ ही नही है । कोर्ट ने सिर्फ स्टे दिया है सरकार के फैसले को गलत नही ठहराया है ।


प्रेसक्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए महाअधिवक्ता ने कहा कि आरक्षण समाप्त करने का काम संसद का है । छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या जो लगभग 49 प्रतिशत है के आधार पर इस वर्ग का आरक्षण प्रतिशत बढ़ाया है जबकि सामान्य वर्ग की संख्या 9 प्रतिशत होने के बाद भी उसे कुल मिलाकर 28 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है इस तथ्य को जाने समझे बगैर कुछ लोग सरकार के निर्णय का विरोध कर रहे है । श्री वर्मा ने कहा कि आरक्षण को लेकर अभी भी भ्रांतियां है ।सरकार ने इसे लेकर मजबूती के साथ कोर्ट में पक्ष रखा है और आगे भी हम पूरी संजीदगी के साथ तथ्य पूर्वक कोर्ट के समक्ष अपनी बातें रखेंगे ।इसी वजह से सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के विशेषज्ञ अधिवक्ताओं को नियुकित कर उन्हें कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने बुलाया था । इस मामले में सरकार कोई चूक नही करना चाहती मगर आरक्षण प्रतिशत को लेकर कुछ जिम्मेदार और ऊंचे पदों पर बैठे लोग गैरजिम्मेदाराना बयान दे रहे है ।


उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार के दौरान वर्ष 1980 में ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने रामजी महाजन आयोग का गठन किया था तब पुरानी सरकार के दौरान 58 प्रतिशत आरक्षण था । छत्तीसगढ़ में आरक्षण प्रतिशत को बढ़ाकर 82 प्रतिशत क्यो होना चाहिए इसका कारण कोई नही जानना चाहता । रामजी महाजन आयोग ने तब ओबीसी वर्ग की स्थिति पूरे प्रदेश में खराब होना बताया था । उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पहले ही बयान दे चुके है कि पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर हम वैधानिक लड़ाई लड़ेंगे । पिछड़ा वर्ग का आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने मो लेकर अभी सरकार और कोर्ट स्तर पर असेसमेंट चल रहा है ।

पूर्व एजी के मान, प्रतिष्ठा और सम्मान का ध्यान सरकार ने रखा है
महाअधिवक्ता ने कहा कि इस पद को लेकर कहीं कोई विवाद की स्थिति नही थी और न है । सरकार ने मुझे एजी बनाया तो मेरे पहले के एजी के मान सम्मान और प्रतिष्ठा का ध्यान रखा है । महाअधिवक्ता पद पर मेरी नियुकित सरकार की इच्छा पर निर्भर है । जब तक सरकार चाहेगी मैं महाअधिवक्ता रहूंगा और सरकार को सेवाएं दूंगा।

छग हाईकोर्ट एजी दफ्तर देश का पहला डिजिटिलाइजेशन दफ्तर महाअधिवक्ता श्री वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का महाअधिवक्ता कार्यालय देश का एक मात्र ऐसा एजी कार्यालय है जो पूर्ण रूप से डिजिटीलाइजेशन है । छतीसगढ़ हाईकोर्ट वर्ष 2000 से है मगर दिल्ली रायपुर में एजी दफ्तर शुरू करने का सौभाग्य मुझे मिला । चूंकि एजी का पद सवैधानिक है और सरकार को सलाह देने महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां है जिसके लिए सम्बंधित अधिकारियो को बार बार बिलासपुर बुलाकर चर्चा व सलाह सम्भव नही है इसलिए अब वे प्रत्येक शनिवार को रायपुर जाकर बैठते है। इसी तरह पहले दिल्ली में कार्यालय नही होने से सरकार के कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की तत्काल जानकारी नही हो पाती थी । मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद दिल्ली में दफ्तर शुरू कर पर्याप्त संख्या में लॉयर व कर्मियों को नियुक्ति कर दी गई है ।एजी दफ्तर के अधिवक्ताओं , पैनल लायरो के लिए पहली बार विधिक जानकारी के लिए शिवतराई में विधि व्याख्यान आयोजित कर महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई । कोर्ट नोटिस समन्स आदि ईमेल व फैक्स से भेजने सम्बन्धी आदेश यदि हमे सुप्रीमकोर्ट से मिलता है तो यह व्यवस्था हम 15 दिन में लागू कर देंगे ।

सैकड़ों निर्दोष आदिवासियों ,नेताओं व वकीलों को फंसाया गया
श्री वर्मा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस बयान को सही बताया कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा सैकड़ों निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बताकर जेल भेजा गया था ऐसे निर्दोष लोगों को वर्तमान सरकार जेल से बाहर करेगी । श्री वर्मा ने कहा कि पिछली सरकार सैकड़ो निर्दोष नेताओ और वकीलों को भी झूठे मामलों में फंसा कर जेल भेज दिया था । वे स्वयं ऐसे दर्जनों निर्दोष आदिवासियों के प्रकरण पर पैरवी करके हाईकोर्ट से उन्हें न्याय दिलवाया है जिन्हें जबरिया नक्सली बताकर गिरफ्तार किया गया था और जेल भेज दिया गया था।

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