आसाम के पंद्रहवें सीएम बने हिमंत बिस्वा सरमा

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आसाम के पंद्रहवें सीएम बने हिमंत बिस्वा सरमा

भुवन वर्मा ।10 मई 2020। बिलासपुर

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

दिसपुर — हिमंत बिस्वा सरमा ने आज आसाम की कमान संभाल ली है। श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में महामहिम राज्यपाल जगदीश मुखी ने हिमंत बिस्वा सरमा को आसाम के पंद्रहवें मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी। सरमा ने पारंपरिक पट रेशम की की धोती और कुर्ता धारण किया हुआ था और अपने गले में मुगा गमोसा की डाली हुई थी। उन्होंने आसामी भाषा में पद और गोपनीयता की शपथ ली। कोविद -19 के सख्त प्रोटोकॉल के बीच उनके साथ 14 और विधायकों ने भी शपथ लिया। उनके शपथ ग्रहण समारोह में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल हुये। हिमंता ने नई जिम्मेदारी से पहले श्री श्री दौल गोविंद मंदिर पहुंच पूजा पाठ किये। शपथ लेने के बाद हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि अगले पांच साल में आसाम की गिनती टॉप पांच राज्यों में होगी। हिमंत बिस्वा सरमा ने यह मौका देने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के प्रति आभार भी व्यक्त किया। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर आसाम के पंद्रहवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर भाजपा नेता हिमंत बिस्व सरमा को बधाई दी और उम्मीद जतायी कि उनके नेतृत्व में पूर्वोतर के इस प्रवेश द्वार के विकास को गति मिलेगी और लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति होगी। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर आसाम की प्रगति और भाजपा की मजबूती में योगदान देने के लिये पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की भी सराहना की।

वकील से लेकर सीएम तक का सफर

हिमंत बिस्‍वा सरमा का जन्‍म 01 फरवरी 1969 को गुवाहाटी के गांधी बस्ती , उलूबरी में पिता कैलाश नाथ सरमा और माता मृणालिनी के घर हुआ। इनके पिता का निधन हो गया है जबकि इनके परिवार में अभी मां मृणालिनी देवी , पत्‍नी रिनिकी भुयान और दो बच्‍चे हैं। इन्होंने गुवाहाटी के कामरूप एकेडमी स्कूल से शुरुआती पढ़ाई कर अगली पढ़ाई हेतु कॉटन कॉलेज गुवाहाटी में दाखिला लिया , इसके बाद हिमंत ने पॉलिटिकल साइंस में पीजी किया और यहीं से हिमंत छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय हुये। वे वर्ष 1991-92 में कॉटन कॉलेज गुवाहाटी के जनरल सेक्रेटरी बने। इसके बाद हिमंत बिस्‍वा सरमा ने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से एलएलबी किया और गुवाहाटी कॉलेज से पीएचडी की डिग्री ली। कानून की डिग्री हासिल करने के बाद हिमंत ने वर्ष 1996 से 2001 के बीच पांच साल तक गुवाहाटी हाईकोर्ट में वकालत भी की। सरमा ने रिनिकी भूयान से वर्ष 2001 में शादी की , उनके एक बेटा और एक बेटी है।इन्होंने मई 2001 में वे पहली बार जालुकबारी सीट से जीत हासिल की। उस समय उन्होंने आसाम गण परिषद के नेता भृगु कुमार फूकान को हराया और तब से लेकर आज तक इस सीट पर जीत दर्ज करते आये हैं। इसके बाद वे आसाम की पिछली सरकारों में वित्त , कृषि और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण , शिक्षा , पीडब्ल्यूडी जैसे अहम विभागों के मंत्री रहे। वर्ष 1990 के दशक में कांग्रेस में शामिल हुये सरमा ने तत्‍कालीन सीएम तरुण गोगोई से विवाद के बाद जुलाई 2014 में कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। आखिरकार उन्होंने वर्ष 2016 में विधानसभा चुनाव से पहले 23 अगस्त 2015 को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के घर पर भाजपा का दामन थाम लिया , इसके बाद वर्ष 2016 में होने वाले चुनाव के लिये उन्हें पार्टी का संयोजक बनाया गया। सरमा कभी कांग्रेस नेता तरुण गोगोई के मुख्यमंत्री काल में उनके करीबी हुआ करते थे लेकिन आज वे आसाम बीजेपी के सबसे ताकतवर नेता माने जाते हैं। वर्ष 2016 में आसाम विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) का अध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने पूर्वोत्तर को कांग्रेस मुक्त बनाने में भी अहम भूमिका निभाया। वर्ष 2017 में सरमा बैडमिंटन एसोसिएशन आफ इंडिया के प्रेसिडेंट भी चुने गये थे। इसके अलावा वे आसाम हाकी एसोसिएशन के भी प्रेसिडेंट और आसाम क्रिकेट एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट रहे हैं। कोरोना की पहली लहर के दौरान आसाम में किये गये उनके काम को खूब सराहा गया। इसके अलावा नहीं शिक्षा नीति बनाने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। आसाम में मंत्री रहते हुये उन्होंने महिलाओं , छात्रों , विशेष रूप से मेधावी छात्रों के लिये कई कल्याणकारी योजनायें चलायी। आसाम के लोगों के लिये चौबीस घंटे इमरजेंसी एम्बुलेंस सेवा शुरू करने का क्रेडिट इन्हें ही जाता है। औरतों की सेहत को ध्यान में रखकर आशा , ममता जैसे प्लान इन्होंने ही बनाये। इनकी अगुवाई में एजुकेशन सेक्टर में टीईटी के जरिये पचास हजार टीचर्स को अपाइंट किया गया। एनआरसी और सीएए जैसे मुद्दों को लेकर लग रहा था कि इस बार भाजपा आसाम में सरकार नहीं बना पायेगी, लेकिन हिमंत बिस्वा की कड़़ी मेहनत और जोरदार प्रचार ने भाजपा को दोबारा राज्य की सत्ता में वापस लाने में अहम भूमिका निभायी। इस बार उन्होंने 01 लाख 1,911 वोट के बड़े अंतर से जीत दर्ज की। उसी का नतीजा है कि आज उन्हें आसाम की सत्ता संभालने का मौका मिला है। किताब पढ़ने , घूमने के अलावा स्पोर्ट्स में भी सरमा की काफी दिलचस्पी है।

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