सांपों को जीने की आस दे रही : बिलासपुर की सुश्रीअजिता पाण्डेय
सांपों को जीने की आस दे रही बिलासपुर की अजिता पाण्डेय
भुवन वर्मा बिलासपुर 18 मार्च 2021
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
बिलासपुर — धरती के सबसे बड़े खतरनाक जीवों में से सांप एक ऐसा जीव है कि अक्सर इसका नाम सुनते ही लोगों के रोंगटे खड़े जाते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर सरकंडा निवासी कुमारी अजिता पांडेय (24 वर्षीया) एक ऐसी शख्स है जिसे जहरीले सांपों से भी कभी डर नही लगता और वह मिनटों में पलक झपकते ही इन्हें काबू में करके गांव या शहर से बाहर सुरक्षित स्थानों में छोड़ आती हैं। इन्हें जहरीले सांपों को पकड़ने में महारत हासिल है। ये सभी प्रकार के सांपों पर अपनी ऊंगलियों का जादू चला चुकी हैं। उनकी इस कला को देखकर लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं , उनकी लोकप्रियता शहर के अलावा दूर-दूर गांव में भी बढ़ती जा रही है। इसी वजह से लोग उन्हें दूरदराज के इलाकों से भी सांप पकड़ने के लिये बुलाते हैं। शहर के अलावा आसपास के गांव देहातों में भी सांप निकलने पर इनका मोबाइल बजने लगता है। वे सांप पकड़ने में बहुत ही माहिर हैं इसलिये जहरीले से जहरीले सांपों को भी वे ऐसे पकड़ लेती है जैसे वह बच्चों का कोई खिलौना हो। शहर के अलावा आसपास गांव-देहात के लोग अजीता को अच्छी तरह से जानते हैं , वे परिचय की मोहताज नहीं है। उनके इस प्रतिभा का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उनका नंबर इंस्टाग्राम , यूट्यूब , ट्विटर सहित स्थानीय मीडिया ने सार्वजनिक कर रखा है। मूलत: बेलसरी (तखतपुर) निवासी अजिता पांडेय बिलासपुर से नर्सिंग डिप्लोमा की डिग्री हासिल कर रतनपुर सामुदायिक केंद्र में नर्सिंग आफिसर हैं जो वर्तमान में लिंगियाडीह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर कार्यरत है। इनके पिताजी भेचेन्द्र पांडेय आर्टिस्ट हैं जो नारियल में देवी देवताओं का चित्र बनाते हैं और मां सूर्यकांता पांडेय शिक्षाकर्मी हैं। वर्तमान में इनका परिवार सरकंडा बिलासपुर में निवासरत है। इनकी बड़ी बहन श्रीमति अंकिता पांडेय शुक्ला कालेज में प्रोफेसर हैं। अजिता का कहना है कि प्रकृति पर जितना हक इंसानों का है उतना ही हक सभी जीवों का है। सभी जीवों को प्राकृतिक रूप से जीने का हक है। बेवजह छेड़छाड़ करने से उनको भी तकलीफ़ होती है। इंसान तो समयानुसार सभी से उम्मीद कर सकता है लेकिन बेजुबान प्राणी तो केवल इंसानों पर ही निर्भर है। भगवान ने हम इंसानों को प्रेम दे रखा है इसलिये इंसानों में संवेदनशीलता वाली ताकत होनी चाहिये। बताते चलें कि अजिता अपने खानदान में पहली बेटी है जिसने इस खतरनाक विषधरों को नई जिंदगी देने और लोगों को उनके खौफ से मुक्ति दिलाने का बीड़ा उठाया है , ताकि इंसान को सांप से और सांप को इंसानों से कोई तकलीफ़ ना हो। लोगों के डर सांप के प्रति नफरत मिटाने के लिये वह लोगों में जागरूकता फैला रही है।
स्नैक कैचर के नाम से प्रसिद्ध बिना किसी हाईटेक तरीके से जहरीले से जहरीले सांपों को चुटकी बजाते ही पकड़कर खाली डिब्बे या बोरी में बंद करके उसे निर्जन मैदानी इलाकों में छोड़ने वाली अजिता पांडेय ने चर्चा के दौरान अरविन्द तिवारी को बताया कि उन्होंने 18 वर्ष की उम्र में देवकीनंदन नगर बिलासपुर से सांप पकड़ने की शुरुआत की थी। उसने आज तक एक भी सांप को कोई चोट नहीं पहुंचाया है। उनका कहना है कि मेरा मकसद सांप को मारना नहीं बल्कि उसे जीवन देना है। मैं सांप को पकड़ने जाती हूं तो उसकी जान भी बचती है , नहीं तो अपने आप को बचाने की कोशिश में लोग उसे मार डालते हैं। अजिता का कहना है कि वह पिछले पांच – छह सालों से सांपों को पकड़ने का काम कर रही हैं, उसने अब तक हजारों सांपों को पकड़कर सुरक्षित स्थानों पर छोड़ा है। इसके लिये उन्हें किसी तरह के पैसे का लालच नहीं है और ना ही कुछ और। वह नि:स्वार्थ भाव से इसलिये सांपों को पकड़ती है ताकि उससे लोगों को किसी तरह का खतरा ना हो। वे सांपों के साथ साथ अन्य बेजुबान जीवों को अपने बच्चे की तरह मानती है , उनको पकड़ते हुये उन्हें चोट ना लगे इस बात का पूरा पूरा ध्यान रखती है। सांप के अलावा अन्य पालतू जानवरों से भी उनका गहरा लगाव है , गली सड़कों पर घूम रहे बेजुबानों को भोजन देना और चोटग्रस्त होने पर उनके उपचार पर ध्यान देना भी अपना कर्तव्य समझती हैं। सड़क पर भूखे घुमते बेजुमान उन्हें तड़पते हुये बच्चे लगते हैं इसलिये वे उनकी सेवा में जुट जाती हैं। वे कहती हैं कि सांप भी प्रकृति के अंग है। भगवान ने प्रकृति की रचना बहुत खूबसूरती से की है। यहां मानव के साथ-साथ जीव-जंतु भी रहते हैं। इसलिये इस खूबसूरती का हम सबको मिलकर सम्मान करना चाहिये। कोई भी सांप मनुष्य पर तब तक हमला नहीं करता जब तक उसे खुद के लिये खतरा महसूस नहीं करता है। सांप मनुष्य को देखकर पहले वहां से भागने की कोशिश करता है , लेकिन जब लोग उसे हानि पहुंचाने की कोशिश करते हैं, तो वो खुद को बचाने के लिये ही सामने वाले पर हमला करता है। उन्होंने बताया कि सांप पकड़ने के लिये एक फोन आने पर चाहे कड़ाके की सर्दी हो , भारी बरसात हो , आधी रात हो या चिलचिलाते सूरज की दम निकालती गर्मी हो , वे ईमानदारी पूर्वक इस काम के लिये बिना देरी किये निकल जाती हैं। उन्होंने बताया कि वन विभाग के पास बहुत काम रहता है इसलिये वे लोग भी मुझे ही फोन करके सांप पकड़ने हेतु लाईन अप करते हैं। वे पहले वन विभाग में जाना चाहती थी , वे कहती हैं कि अगर मौका मिला तो अब भी वन विभाग में जाकर और ज्यादा सेवा करने की इच्छा है। वे कहती हैं कि ऐसी खतरनाक काम को हजार लोग अपनी आंखों से देखते हैं , सौ लोग करने को सोचते हैं , दस लोग करते हैं और उनमें से भी एक अपना सब काम छोंड़कर ऐसे कार्य को अंजाम देते हैं। वे आगे कहती हैं कि मैं महाकाल की शुक्रगुजार हूं जिसने लाखों की आबादी वाली इस शहर में मुझे ही इस काम के लिये चुना कि मैं सांपों से लोगों की जान बचाकर समाज सेवा करूं। जब महाकाल ने मुझपे भरोसा किया है, कुछ लायक समझा है तो मैं उसके सौंपे काम को अपना फर्ज समझ के ईमानदारी पूर्वक अंजाम दूं यही मेरा सौभाग्य है। वे अपनी जिन्दगी की अंतिम सांसों तक सांपों से लोगों को नहीं मरने देने और लोगों द्वारा सांपों का जीवन बचाने की काम करना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में पाये जाने वाले 70 फीसदी सांप जहरीले नहीं होते। छग में सबसे अधिक चार प्रकार के जहरीले सांप पाये जाते हैं। कोबरा (गौंहाडोमी – जिसे रसल वाईपर के नाम से भी जाना जाता है) , जदर्रा (गुस्से में पूंछ से आवाज करता है) , घोड़ा करैत और अहिरात। बाकी सब प्रजातियों के सांप जहरीले नही होते। सांप पकड़ते समय अतिआवश्यक सावधानियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि स्नैक कैचर को ना सिर्फ सुरक्षित स्टिक्स की बल्कि बड़े विशेष जूतों व हाथ पर पहनने के लिये सुरक्षित दास्तानों की भी जरूरत पड़ती है ताकि वे और अधिक बेहतर तरीके से रेस्क्यू कार्य को अंजाम दे सके। उन्होंने बताया कि सांप के काटने पर लोगों को घबराना नही चाहिये। घबराहट में खून का दौरा बढ़ने से शरीर में जहर जल्दी फैलने का डर रहता है। सांप काटने पर मरीज को बिल्कुल भी पानी ना पिलायें और उसे ज्यादा चलने भी ना दें। उसके जहर से बचने के लिये झाड़फूंक का सहारा ना लें , ऐसे अंधविश्वासों से दूर रहकर घाव को अच्छी तरह से पानी से धोकर जल्द से जल्द डॉक्टरी सहायता लेने की कोशिश करें। जहर से किसी और तरीके से नही बचा जा सकता क्योंकि वेनम को एंटी वेनम ही काट सकता है। अजिता आम लोगों से अपील करते हुये कहती है कि सांप पकड़ना उतना आसान नहीं है जितना दिखायी पड़ता है। किसी की नकल करके सांप पकड़ने की कोशिश में जान भी जा सकती है। सांप पकड़ने से पहले किसी अच्छे प्रशिक्षक से प्रशिक्षण जरूर लें तथा सांपों की पूरी जानकारी रखें , उसके बाद ही इस जोखिम भरे काम को करें। जानकारी के अभाव में जान भी जा सकती है।