अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का इतिहास गौरवशाली – नरेन्द्र मोदी

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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का इतिहास गौरवशाली – नरेन्द्र मोदी

भुवन वर्मा बिलासपुर 22 दिसंबर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली — अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की दीवारों में देश का इतिहास है, यहांँ से पढ़ने वाले छात्र दुनियाँ में देश का नाम रोशन कर रहे हैं। यहांँ से निकले छात्रों से कई बार विदेश में उनकी मुलाकात हुई, जो हमेशा हंसी-मजाक और शेर-ओ-शायरी के अंदाज में खोये रहते हैं। आज एएमयू से तालीम लेकर निकले लोग भारत के सर्वश्रेष्ठ स्थानों के साथ ही दुनियाँ के एक सौ से अधिक देशों में छाये हैं जो कहीं भी हो भारत की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुये कहा। इस ऐतिहासिक शताब्दी समारोह अवसर को यादगार बनाने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया। इस अवसर पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी उपस्थित थे। पाँच दशक में यह पहला मौका था जब प्रधानमंत्री एएमयू के किसी समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुये। पीएम मोदी ने उन्हें एएमयू के शताब्दी समारोह के इस ऐतिहासिक अवसर पर अपनी खुशियों के साथ जुड़ने का मौका देने के लिये आभार व्यक्त किया। उन्होंने आगे कहा कि कोरोना के इस संकट के दौरान भी एएमयू ने जिस तरह समाज की मदद की, वो अभूतपूर्व है। हज़ारों लोगों का मुफ्त टेस्ट करवाना, आइसोलेशन वार्ड बनाना, प्लाज्मा बैंक बनाना और पीएम केयर फंड में बड़ी राशि का योगदान देना, समाज के प्रति आपके दायित्वों को पूरा करने की गंभीरता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि बीते 100 वर्षों में एएमयू ने दुनियाँ के कई देशों से भारत के संबंधों को सशक्त करने का भी काम किया है। उर्दू, अरबी और फारसी भाषा पर यहांँ जो रिसर्च होती है, इस्लामिक साहित्य पर जो रिसर्च होती है, वो समूचे इस्लामिक वर्ल्ड के साथ भारत के सांस्कृतिक रिश्तों को नई ऊर्जा देती है। पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षा अपने साथ रोजगार और एंटरप्रेन्योरशिप लेकर आती है जिससे आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित होती है। आर्थिक स्वतंत्रता के से महिलाओं का सशक्तिकरण होता है और वे हर स्तर पर फैसले लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रधानमंत्री मोदी ने एएमयू को इस बात के लिये बधाई दी कि इस विश्वविद्यालय में वूमेन स्टूडेंट्स की संख्या में पचास फीसदी की बढ़ोतरी हुई। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार मुस्लिम महिलाओं की शिक्षा और उनके सशक्तिकरण के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि 100 साल पहले एएमयू की फाउंडर-चांँसलर बेगम सुल्तान ने मुस्लिम समुदाय को आधुनिक बनाने के लिये काम किया और आज ट्रिपल तलाक जैसी बुराईयों को खत्म कर इस दिशा में देश आगे बढ़ रहा है
पीएम मोदी ने कहा आज देश जो योजनायें बना रहा है वो बिना किसी मत मजहब के भेद के हर वर्ग तक पहुँच रही हैं। बिना किसी भेदभाव चालीस करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक खाते खुले। बिना किसी भेदभाव के दो करोड़ से ज्यादा गरीबों को पक्के घर दिये गये। बिना किसी भेदभाव आठ करोड़ से ज्यादा महिलाओं को गैस मिला। बिना किसी भेदभाव आयुष्मान योजना के तहत पचास करोड़ लोगों को पाँच लाख रुपये तक का मुफ्त ईलाज संभव हुआ। जो देश का है वो हर देशवासी का है और इसका लाभ हर देशवासी को मिलना ही चाहिये , हमारी सरकार इसी भावना के साथ काम कर रही है।उन्होंने कहा कि देश आज उस मार्ग पर बढ़ रहा है जहांँ मजहब की वजह से कोई पीछे ना छूटे , सभी को आगे बढ़ने के समान अवसर मिले , सभी अपने सपने पूरे करें। सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास ये मंत्र मूल आधार है , देश की नीयत और नीतियों में यही संकल्प झलकता है। इस अवसर पर केन्द्रीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने एएमयू की एक सदी की उपलब्धियों और विभिन्न क्षेत्रों में उसके पूर्व छात्रों के योगदान को याद किया। आखिरी बार 1964 में बतौर प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री एएमयू के एक समारोह में शामिल हुये थे। उनसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नहेरू ने चार बार एएमयू का दौरा किया था। नेहरू पहली बार 1948 में और इसके बाद 1955, 1960 और 1963 में एएमयू गये थे।
गौरतलब है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के 55 साल में ये पहला मौका है, जब कोई प्रधानमंत्री विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में हिस्सा लिये। कोरोना संक्रमण के कारण यह शताब्दी समारोह वर्चुअल तरीके से आयोजित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले 55 वर्ष पूर्व 1964 में लाल बहादुर शास्त्री, प्रधानमंत्री रहते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में शामिल हुये थे। वर्ष 1875 में सर सैयद अहमद ने मुहम्मद एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज स्थापित किया था , एक दिसंबर 1920 को यह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में तब्दील हुआ और 17 दिसंबर 1920 को विश्वविद्यालय के रूप में उद्घाटन हुआ।

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