पुरी पीठ में शंकराचार्य द्वारा गोपाष्टमी पर गोपूजन

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पुरी पीठ में शंकराचार्य द्वारा गोपाष्टमी पर गोपूजन

भुवन वर्मा बिलासपुर 22 नवम्बर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

जगन्नाथपुरी — कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष अष्टमी को देश भर में श्रद्धा भक्ति एवं बड़े हर्षोल्लास के साथ गोपाष्टमी पर्व मनाया गया। इस दिन घरों एवं गौशालाओं की साफ सफाई पश्चात गौमाता को स्नान कराकर सुसज्जित करके विधि विधान के साथ गौमाता का षोडशोपचार पूजा आराधना कर उनको हरा चारा ,गुड़ , दालिया की सवामणी का भोग लगाया। कई गोभक्तों ने इस दिन व्रत रखकर गौमाता की पूजा अर्चना करकथा भी सुनी। इसी कड़ी में ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठ में श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी महाभाग के द्वारा मठ द्वारा संचालित गोशाला में गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर गोमाता की पूजा अर्चना कर सम्पूर्ण विश्व में सुख , शांति ,समृद्धि की कामना की गयी। गौरतलब है कि श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी ओडिशा में देशी गोवंश संरक्षण के लिये एक समृद्ध गोशाला संचालित है। इसके अलावा महाराज जी के छत्तीसगढ़ रायपुर स्थित शंकराचार्य आश्रम श्री सुदर्शन संस्थानम में गोपूजा के साथ गोपाष्टमी पर्व आयोजित किया गया। महाराजश्री के शिष्य मोहन द्विवेदी , श्रीमति आशा द्विवेदी , सविता गौरहा , सत्यम गौरहा एवं गो सेवा संगठन के श्वेता जयप्रकाश द्विवेदी , शिखा चैतन्य द्विवेदी , दीप्ति पाठक ने भी विभिन्न स्थानों पर पारम्परिक रूप से गोपूजन कर गौमाता की रक्षा का संकल्प लिया। इस अवसर पर लगभग तीस वर्षों से गोसेवा कर रही श्रीमति आशा द्विवेदी ने बताया कि गौमाता सनातन धर्म की मूल है , इससे धर्म ,अर्थ , काम , मोक्ष चारों पुरूषार्थों की प्राप्ति होती है। जिस गौमाता की सेवा के लिये भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण अवतरित हुये हैं , उस गौमाता की दुर्दशा आज किसी से छिपी नही है। आज गोमाता की सेवा , रक्षा अति महत्वपूर्ण है , अन्यथा वह दिन दूर नही जब हमारी आनेवाली पीढ़ी गोवंशों को चिड़ियाघरों या फोटो में ही देख सकेंगे।

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