छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस पर विशेष आलेख रमेश बैस को समर्पित : रमेश बैस इस माटी की सन्तान, छत्तीसगढ़ याद कर रहा आपका विशेष योगदान
छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस पर विशेष आलेख रमेश बैस को समर्पित : रमेश बैस इस माटी की सन्तान, छत्तीसगढ़ याद कर रहा आपका विशेष योगदान
भुवन वर्मा बिलासपुर 02 नवम्बर 2020
रायपुर । 1 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस को समस्त छत्तीसगढ़ बड़े हर्ष व उत्साह से मना रहे हैं। मनानी भी चाहिए , किंतु उन विभूतियों के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता जिनके अथक प्रयत्नों से छत्तीसगढ़ राज्य बना । अमर सेनानियों ने तो 1956 से ही पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का झंडा बुलंद किया था, किंतु तत्कालीन शासकों के कुटिल चालों से आंदोलन विफल होता रहा।फिर भी समय-समय पर छत्तीसगढ़ के माटी पुत्रों ने इस आंदोलन को जीवित रखा और उसमें अग्रणी नाम अजेय सांसद रमेश बैस का है ।जब मा अटल बिहारी वाजपेई की सरकार केंद्र में सत्तारूढ़ हुई तभी छत्तीसगढ़ वासियों की प्रबल इच्छा से रमेश बैस ने उन्हें अवगत कराया तभी छत्तीसगढ़ वासियों की मुराद भी पूरी हुई ।
आज कोविड़-19 काल में जिस चिकित्सालय ने छत्तीसगढ़ ही नहीं वरन अपने इलाज से पूरे भारत में एम्स विशेष ख्याति अर्जित की है । ज्ञात हो की अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भी रमेश बैस का ही देन है। इसके अतिरिक्त छोटे-बड़े अनेक कार्य जिसमें लंबी दूरियों का ट्रेन संचालन जो छत्तीसगढ़ होते हुए गुजर रहे हैं , सुपरएक्सप्रेस ट्रेनों के स्टॉपेज देकर छत्तीसगढ़ वासियों को सुविधा प्रदान करना, रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण, आदि सौगातें उन्हीं की अथक प्रयास से इस अंचल को प्राप्त हुए हैं, जिन्हें कभी कालांतर में भी भुलाया नहीं जा सकता।
वर्तमान त्रिपुरा के राज्यपाल वह भी छत्तीसगढ़ का ही गौरव है । अतः आज हम रमेश बैस सच्चे माटी पुत्र छत्तीसगढ़ गौरव जो राज्यपाल त्रिपुरा के दायित्व का सफलता पूर्वक निर्वहन कर रहें हैं। इस पावन अवसर पर माननीय रमेश बैस जी को कोटि कोटि बधाई व शुभकामनाएं समस्त प्रदेशवासी प्रेषित करते हैं ।
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” हे ! छत्तीसगढ़ महतारी “
पश्चिम का ऐश्वर्य ना मिले मां, छत्तीसगढ़ की धूल मिले।
धन दौलत में कांटे चुभते ,
माटी में है फूल खिले ।
सदानीरा हों नदी यहां की,
फसलें मोती सी खनकें,
शांत रहे बस्तर अंचल मां ,
कभी ना हो भीगी पलकें।
विकास के नाम पर काट रहे जो, हरियाली हे मां तेरी ।
धूल धुआं में धान खो गया,
दिखे सिर्फ राखो की ढेरी।
अब ना हो यह सब कुछ ऐसा, वरदान हमें दो मां प्यारी।
सब मिलकर रहे सुख से रहे,
हे छत्तीसगढ़ महतारी!
जय छत्तीसगढ़।
रचनाकार -गोपाल वर्मा वरिष्ठ कवि व साहित्यकार तिल्दा नेवरा
जय जोहर, जय छत्तीसगढ़ !