दुनियाँ का सबसे महँगा अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव कल

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दुनियाँ का सबसे महँगा अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव कल

भुवन वर्मा बिलासपुर 02 नवंबर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

वाशिंगटन (अमेरिका) — विश्व भर में कोरोना का प्रकोप अमेरिका में सबसे ज्यादा है। वैश्विक महामंत्री कोरोना के बीच कल तीन नवंबर को अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिये मतदान होना है। वैसे तो अमेरिका में भी भारत की तरह ही मल्टी पार्टी सिस्टम है लेकिन रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक ये दो पार्टियाँ इतनी प्रभावी है कि इन्हीं दोनों पार्टियों के बीच पूरे अमेरिका की राजनीति घूमती रहती है। कल होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी से वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी से जो विडेन के बीच सीधा मुकाबला है , जिस पर पूरी दुनियाँ की नजरें टिकी हुई है कि डोनाल्ड ट्रंप अपनी जीत दोहरायेंगे या विडेन बाजी मारेंगे। अमेरिका में इस वर्ष हो रहा राष्ट्रपति चुनाव देश के इतिहास का सबसे महँगा चुनाव बनने जा रहा है , इस चुनाव में पिछले राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले दोगुनी राशि खर्च होने का अनुमान है। इसमें डेमोक्रेटिक पार्टी जहांँ कोरोना से निपटने में ट्रंप की नीतियों को नाकाम बता रहा है तो वहीं डोनाल्ड ट्रंप चीनी वायरस के बहाने विरोधियों पर निशाना साध रहे हैं। वर्ष 2020 में रिपब्लिकन पार्टी से डोनाल्ड ट्रंप ने माइक पेंस को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीद्वार बनाया है जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से जो बिडेन ने कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीद्वार बनाया है।

कोरोना पर झूठा वादा नहीं करूंगा – विडेन

राष्ट्रपति चुनाव से पहले जो विडेन ने कहा है कि वे कोविड-19 महामारी को पलक झपकते समाप्त कर देने का झूठा वादा नहीं करेंगे। उल्लेखनीय है कि मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप महामारी पर कथित कुप्रबंधन के लेकर उनके निशाने पर हैं और उन्होंने चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में वायरस को खत्म करने का वादा किया है। विडेन ने कोरोना से निपटने के ट्रंप के तरीके को पीड़ितों का अपमान करार देते हुये कहा कि अगर मैं जीत जाता हूंँ तो भी इस महामारी को खत्म करने के लिये हमें कड़ी मेहनत करनी होगी। उन्होंने कहा कि मैं आपसे यह वादा करता हूंँ कि हम पहले ही दिन से सही काम करना शुरू करेंगे।

भारतीय मूल के वोटर बड़ी ताकत

अमेरिका में कुल 24 करोड़ मतदाता हैं। अमेरिकी चुनाव में पहली बार भारतीय मूल के वोटर बड़ी ताकत बनकर उभरे हैं। सोलह राज्यों में इनकी संख्या कुल अमेरिकी आबादी के एक प्रतिशत से ज्यादा है लेकिन दिलचस्प बात ये है कि 13 लाख भारतीय उन 08 राज्यों में रहते हैं जहां कांँटे का मुकाबला है। गौरतलब है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका में हाउडी मोदी कार्यक्रम के दौरान अबकी बार ट्रंप सरकार का नारा लगाया था।

कैसे होता है अमेरिका में चुनाव ?

वैसे तो दुनियाँ भर में चार तरह की शासन प्रणाली है. अध्यक्षात्मक शासन, संसदीय शासन, स्विस शासन और कम्युनिस्ट शासन. जैसा कि नाम से ही पता चलता है, अमेरिका में अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली है यानि अमेरिकी सरकार के केंद्र में अध्यक्ष (राष्ट्रपति) होता है। अमेरिका की चुनाव प्रक्रिया भारत से अलग है। यहां राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है. अमेरिकी नागरिक उन लोगों को चुनते हैं जो राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं।

अमेरिकी संसद

अमेरिका में कुल 50  राज्य हैं, इन राज्यों से कुल 538 इलेक्टर्स चुने जाते हैं , इसे इलेक्टोरल कॉलेज कहते हैं। इलेक्टोरल कॉलेज में दो हाउस हैं – एक सीनेट यानि उच्च सदन Upper House और दूसरा हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव यानि Lower House निम्न सदन।हालांकि यहां उच्च सदन का चुनाव भारत से अलग है , भारत में राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव जहांँ अप्रत्यक्ष रूप से होता है वहीं अमेरिका में सीनेट के सदस्यों का चुनाव जनता प्रत्यक्ष रूप से करती है। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में 435 प्लस 03 सदस्य होते हैं जिसमें विशेष प्रावधान के तहत वॉशिंगटन डीसी के 03 सदस्य हैं।

लिस्ट सिस्टम क्या है ?

अमेरिकी इलेक्टोरल कॉलेज के चुनाव में लिस्ट सिस्टम होता है यानि चुनाव में लिस्ट हारती और जीतती है।इसे आसान भाषा इस तरह से समझा जा सकता है कि डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी कैफोर्निया राज्य के लिये 55 लोगों की लिस्ट जारी करेगी , मतदाता उन 55 लोगों के लिये अलग-अलग वोट नहीं करेगा बल्कि वो रिपब्लिकिन पार्टी की पूरी लिस्ट और डेमोक्रेटिक पार्टी की पूरी लिस्ट के लिये वोट करेगा। इसका मतलब यह हुआ कि या तो पूरे 55 लोग जीतेंगे या फिर पूरे 55 लोग हारेंगे। यही वजह है कि पिछली बार ट्रंप कम वोट पाकर भी इलेक्टोरल कॉलेज में जीत गये थे। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव राष्ट्रपति के चुनाव के लिये जाता है, पर यह पहली बार है जब 33 प्रतिशत सीनेट भी राष्ट्रपति चुनाव में जायेगा। हर राज्य में इलेक्टर्स की संख्या अलग-अलग है. जिस राज्य की आबादी जितनी अधिक होती है वहां उतने अधिक इलेक्टर्स होते हैं. राष्ट्रपति बनने के लिए किसी भी उम्मीदवार को 270 मतों की जरूरत होती है। अगर हम पिछले 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों की बात करें तो डोनाल्ड ट्रंप को 538 में से 306 इलेक्टोरल वोट मिले थे जबकि हिलेरी क्लिंटन को 232 वोट मिले थे। कुल वोटों की बात करें तो हिलेरी को 48.2 फीसदी मतदान मिला था जबकि ट्रंप को 46.1 प्रतिशत वोट मिले थे. स्विंग स्टेट्स में ज्यादा वोट मिलने के चलते ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीत गये थे।

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