आज कात्यायनी पूजा – अरविन्द तिवारी की कलम से

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आज कात्यायनी पूजा – अरविन्द तिवारी की कलम से

भुवन वर्मा बिलासपुर 22 अक्टूबर 2020

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ॥

  • नवरात्रि के छठवें दिन आज माँ दुर्गा के छठवें स्वरूप कात्यायनी की पूजा आराधना की जाती है। माँ को जो सच्चे मन से याद करता है उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं।जन्म-जन्मांतर के पापों को विनष्ट करने के लिये माँ की शरणागत होकर उनकी पूजा-उपासना के लिये तत्पर होना चाहिये। माँ की उत्पत्ति या प्राकट्य के बारे में वामन और स्कंद पुराण में अलग-अलग बातें बतायी गई हैं। माँ पार्वती का जन्म महिषासुर का वध करने के लिये ऋषि कत्य के घर में हुआ था इसलिये यह देवी कात्यायनी कहलायी। इनकी पूजा आराधना करने से अद्भुत शक्ति का संचार होता है और दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती है। इनका अस्त्र कमल व तलवार है। आज के दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में अवस्थित होता है। यह वृहस्पति ग्रह का संचालन करती है। इनकी चार भुजायें हैं दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मांँ के बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है। इनका स्वरूप भव्य एवं दिव्य है और ये स्वर्ण के समान चमकीली है। ब्रज की गोपियों ने भगवान कृष्ण को पति रुप में पाने के लिये कालिंदी यमुना के तट पर इन्हीं की पूजा अर्चना की थी इसलिये ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी प्रतिष्ठित है। जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रहा है उन्हें आज के दिन हल्दी की गाँठ चढ़ाकर माँ कात्यायनी की पूजा अवश्य करनी चाहिये। इससे भगवान वृहस्पति प्रसन्न होकर विवाह का योग बनाते हैं और इससे उन्हें मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है।

    ” कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरि ।
    नन्दगोपसुतं देवी , पति मे कुरु ते नम:।।
    इसके अलावा सर्वसाधारण के लिये निम्न श्लोक भी सरल और स्पष्ट है।
  • माँ जगदम्बा की भक्ति पाने के लिये आज इसका जाप करना चाहिये –
    या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
    अर्थात् हे माँ ! सर्वत्र विराजमान और शक्तिरूपिणी प्रसिद्ध अम्बे , आपको मेरा बारम्बार प्रणाम है। माँ कात्यायनी का पसंदीदा रंग लाल है और इन्हें शहद का भोग बेहद पसंद है। इन्हें पीला फूल और पीले रंग का नैवेद्य अर्पित करना चाहिये। इनकी उपासना और आराधना से रोग , शोक , संताप , भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं एवं भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्म जन्मांतर के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। नवरात्रि के छठवें दिन यानि आज दुर्गा सप्तशती के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना चाहिये। माँ कात्यायनी की पूजा करते समय “ॐ ऐं ह्रीं क्लीम चामुण्डायै व‌िच्चै” अथवा “ॐ  कात्यायनी देव्यै नमः” मंत्रों का उच्चारण करना चाहिये। नवरात्रि के छठवें दिन प्रसाद में मधु यानी शहद का प्रयोग करना चाहिये। देवी मां को प्रसन्न करने के लिये गुड का दान करना चाहिये और नारंगी रंग के कपड़ें पहनने चाहिये।

ध्यान

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्वनीम्॥
स्वर्णाआज्ञा चक्र स्थितां षष्टम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥

स्तोत्र पाठ

कंचनाभा वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोअस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालंकार भूषितां।
सिंहस्थितां पदमहस्तां कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥
परमांवदमयी देवि परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति,कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥

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