हिन्दू राष्ट्र संघ का लक्ष्य – पुरी शंकराचार्य

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हिन्दू राष्ट्र संघ का लक्ष्य – पुरी शंकराचार्य

भुवन वर्मा बिलासपुर 13 अक्टूबर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

जगन्नाथपुरी — ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने हिन्दू राष्ट्र संघ के लक्ष्य के बारे में बताया कि विश्व में बिखरी हुई हिन्दुओं की मेधाशक्ति , रक्षाशक्ति , वाणिज्यशक्ति और श्रमशक्ति का हिन्दू राष्ट्र संघ के माध्यम से वसुधैव कुटुंबकम् की भावना से केन्द्रियकरण करना। लक्ष्य प्राप्ति के पूरक प्रकल्प क्या होंगे ? दर्शन , विज्ञान और व्यवहार में सामञ्जस्य साधते हुये सद्भावपूर्ण सम्वाद। वसुधैव कुटुंबकम् का व्यावहारिक प्रकल्प — स्थावर जङ्गम प्राणियों के उद्गस्थान में एकत्व की भावना के सञ्चार से मनुष्यमात्र की चेतना के उत्कर्ष का प्रकल्प। हम सनातन सर्वेश्वर के अंश सदृश होते हुये प्राणी हैं , प्राणी होते हुये मनुष्य हैं , मनुष्य होते हुये हिन्दू हैं , हिन्दू होते हुये वर्णाश्रम व्यवस्था में प्रभेद से युक्त हैं। हिन्दू राष्ट्र के रूप में स्थापित होने योग्य देशों की गणना। आस्थापूर्वक हिन्दू मात्र के लिये सामान्य आचार संहिता — माता, पिता , आचार्य और अतिथियों का समादर और संरक्षण ; गोवंश , गङ्गादि , वेदादि , सती साध्वी मातृशक्ति एवं शील सदाचार संपन्न सत्पुरुषों के संरक्षण और पोषण में संलग्नता ; पुण्यभूमि भारत के अस्तित्व और आदर्श की रक्षा में आस्था ; सनातन वेदादि शास्त्रों में श्रद्धा ; सनातन परम्पराप्राप्त मठ और मन्दिरों की सुरक्षा ; पर्वों एवं त्यौहारों को सुव्यवस्थित ढङ्ग से मनाते का प्रकल्प ; मुण्डन , विवाह , शवदाह , श्राद्ध तर्पण आदि विविध प्रकल्पों के विधिवत अनुपालन की क्षमता ; व्यासपीठ और शासनतन्त्र में सैद्धान्तिक सामञ्जस्य तथा सनातन विधा से दोनों की उद्भावना ये सभी हिन्दू राष्ट्र संघ का लक्ष्य है।

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