छत्तीसगढ़ आनन्दवाहिनी का प्रादेशिक अधिवेशन संपन्न

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छत्तीसगढ़ आनन्दवाहिनी का प्रादेशिक अधिवेशन संपन्न

भुवन वर्मा 24 सिंतबर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

रायपुर — ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी महाभाग द्वारा सनातन संस्कृति संरक्षणार्थ एवं राष्ट्र रक्षा हेतु संस्थापित मातृशक्ति के लिये संगठन आनन्दवाहिनी के छत्तीसगढ़ इकाई का प्रादेशिक अधिवेशन आधुनिक यांत्रिक विधा से संपन्न हुआ। अधिवेशन की अध्यक्षता आनन्दवाहिनी के श्रीमति सीमा तिवारी ने की। अधिवेशन का संचालन करते हुये अपने स्वागत भाषण में श्रीमति सीमा तिवारी ने कहा कि श्रीगोवर्धनमठ के वर्तमान पूज्यपाद शंकराचार्य जी हिन्दूओं के सार्वभौम सर्वोच्च धर्मगुरु हैं, जो निरंतर भारतवर्ष ही नहीं पूरे विश्व को भावी विभिषिका से बचाने के लिये शास्त्रसम्मत सिद्धांतों के विपरीत मार्ग पर चलने के बिरूद्ध सचेत करते रहते हैं। सनातन वैदिक शास्त्रसम्मत सिद्धांतों को जोकि प्रत्येक काल एवं परिस्थिति में प्रासंगिक हैं, उन्हें अपनाकर ही एवं प्रकृति के संरक्षण व सामंजस्य से ही मानव का अस्तित्व सुरक्षित रह सकेगा। प्रारंभ में आंचल मिश्रा बहनों ने मंगलाचरण के द्वारा अधिवेशन की शुरुआत की। संगठन की श्रीमति सरिता तिवारी ने धर्मसंघ पीठ परिषद् , आदित्य वाहिनी — आनन्द वाहिनी संस्था के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुये कहा कि पूज्यपाद पुरी शंकराचार्य जी के संदेशों को स्वयं आत्मसात कर जन जन में प्रसारित करना ही संगठन का प्रमुख उद्देश्य है जिससे कि सुसंस्कृत , सुशिक्षित , सुरक्षित , संपन्न , सेवापरायण , सर्वहितप्रद स्वस्थ व्यक्ति एवं समाज की संरचना तथा धर्मनियन्त्रित ,पक्षपातविहीन , शोषणविनिर्मुक्त , सर्वहितप्रद शासनतन्त्र स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो सके । संगठन मंत्री श्रीमती गोकृति तिवारी ने संगठन के विभिन्न पदों के प्रारूप , आवश्यक योग्यता तथा दायित्वों का विस्तारपूर्वक जानकारी दी। पूज्य गुरुदेव भगवानश्री के अनुसार संगठन के कुशल संचालन के लिये चयन , प्रशिक्षण एवं नियोजन की प्रक्रिया आवश्यक है । संगठन के क्षेत्र को विभिन्न छोटे इकाईयों में विभक्त कर कार्य करने से सक्रियता बढ़ती है , सफलता निश्चित होती है। संगठन में सद्भावपूर्वक संवाद एवं सामंजस्य आवश्यक है। डॉ० श्रीमती मंजू शर्मा ने संस्था के द्वारा क्रियान्वित की जाने वाली विभिन्न सेवा प्रकल्पों की जानकारी दी। सनातन मानबिन्दुओं की रक्षा के समस्त प्रकल्प , क्षेत्र विशेष को समृद्ध , समर्थ , स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनाना , गोवंश संरक्षण , पर्यावरण संरक्षण , वृक्षारोपण , मठ मंदिर ,तालाब , नदी आदि का संरक्षण , घर में संस्कारित शिक्षा , प्रत्येक हिन्दू परिवार से प्रतिदिन एक रुपया एवं एक घंटा श्रमदान उसी क्षेत्र विशेष को उन्नत बनाने में सदुपयोग जैसे कार्य सम्मिलित हैं। श्रीमती उषा मिश्रा ने श्रीगोवर्धन मठ स्वस्ति प्रकाशन से पूज्यपाद शंकराचार्य जी द्वारा विरचित लगभग 200 ग्रंथों के प्रकाशन का उल्लेख किया । जिसमें वैदिक गणित से संबंधित लगभग दस ग्रंथ, नीति एवं अध्यात्म से संबंधित ग्रंथ शामिल हैं । इन ग्रंथों का संग्रहण , अध्ययन , सन्निहित ज्ञान का चिंतन , प्राप्त संदेशों को आत्मसात करने की ललक तथा प्रचार प्रसार करने की आवश्यकता बतायी। उड़ीसा से विशेषज्ञ के रूप में सम्मिलित श्रीमति रश्मि देव ने मठ से संचालित वैदिक गणित अध्यापन की विशेषता रेखांकित की , उन्होंने कहा कि वैदिक गणित के ज्ञान से गणित सरल , रुचिकर होता है। गणित के कठिन प्रश्नों को समझने एवं हल करने में आसानी होती है । देश के विभिन्न हिस्सों के बच्चे इस अध्यापन से लाभान्वित हो रहे हैं। संगठन के श्रीमति किरण शुक्ला ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित शंकराचार्य आश्रम , श्रीसुदर्शन संस्थानम के निर्माण की प्रगति की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आश्रम में गोशाला संचालित है , सरोवर का निर्माण पूर्ण हो चुका है । वृक्षारोपण किए गए सभी पौधे सुरक्षित हैं। वर्तमान में मंदिर निर्माण का कार्य प्रगति पर है , नींव का कार्य हो चुका है। समस्त शिष्यों एवं अपने अपने क्षेत्र के दानदाताओं को श्रीसुदर्शन संस्थानम निर्माण कार्य में सहभागिता हेतु प्रेरित करने की आवश्यकता है। अधिवेशन में श्रीमति प्रीति शर्मा , श्रीमति पुष्पांजलि पंडा , श्रीमति देवांगन ने भी अपने विचार व्यक्त किये। श्रीमति वीणा मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही भजन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर श्रीमति कविता शर्मा , श्रीमति कमला तिवारी , श्रीमति मीरा मिश्रा उपस्थित रही। श्री हनुमान चालीसा पाठ व जय उद्घोष के साथ अधिवेशन का समापन हुआ। यान्त्रिक विधा का संचालन पीठ परिषद के बी० डी० दीवान ने किया।

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