राष्ट्रीय शिक्षा नीति कार्यक्रम को प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति ने किया संबोधित

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति कार्यक्रम को प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति ने किया संबोधित

भुवन वर्मा बिलासपुर 8 सितंबर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली — नई शिक्षा नीति पर आयोजित राज्यपालों के सम्मेलन को संबोधित करते हुये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि शिक्षा नीति की जिम्मेदारी से केंद्र, राज्य और स्थानीय निकाय जुड़े होते हैं, लेकिन यह भी सच है कि शिक्षा नीति में सरकार का दखल कम से कम होना चाहिये। शिक्षा नीति से जितना शिक्षक, अभिभावक और छात्र-छात्राएं जुड़े होंगे, उसकी प्रासंगिकता उतनी ही रहती है। नई शिक्षा नीति पर पिछले पाँच साल से काम चल रहा था , लाखों लोगों ने अपने सुझाव दिये थे। इन सबका इतना गहरा इतना व्यापक, विविधिता के बाद जो अमृत निकला है उसकी वजह से हर ओर इसका स्वागत हो रहा है। सबको राष्ट्रीय शिक्षा नीति अपनी शिक्षा नीति लग रही है। सभी के मन में यह भावना है कि यही सुधार तो मैं होते हुये देखना चाहता था। मोदी ने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिर्फ पढ़ाई के तौर तरीकों में बदलाव के लिये ही नहीं है बल्कि ये 21वीं सदी के भारत के सामाजिक और आर्थिक पक्ष को नई दिशा देने वाली है. ये आत्मनिर्भर भारत के संकल्प और सामर्थ्य को आकार देने वाली है। आज दुनिया भविष्य में तेजी से बदलते जॉब्स, नेचर ऑफ वर्क को लेकर चर्चा कर रही है. नई शिक्षा नीति देश के युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के मुताबिक शिक्षा और स्किल्स दोनों मोर्चों पर तैयार करेगी।
वहीं इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुये महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यह शिक्षा नीति 21वीं सदी की आवश्यकता और आकांक्षाओं के अनुरूप देश को आगे ले जाने में सक्षम होगी। यह कहा जा रहा है कि यदि इस नीति के अनुरुप बदलाव कर लिये जाते हैं तो भारत एक शिक्षा महाशक्ति बन जायेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, परामर्शों की अभूतपूर्व और लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार की गयी है। इस नीति के निर्माण में, ढाई लाख ग्राम पंचायतों, साढ़े बारह हजार से अधिक स्थानीय निकायों तथा लगभग 675 जिलों से प्राप्त दो लाख से अधिक सुझावों को ध्यान में रखा गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, इक्कीसवीं सदी की आवश्यकताओं व आकांक्षाओं के अनुरूप देशवासियों को, विशेषकर युवाओं को आगे ले जाने में सक्षम होगी. यह केवल एक नीतिगत दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारत के शिक्षार्थियों एवं नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है।

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