बायोफ्लॉक तकनीक से घर पर ही टैंक में मछली पालन, मछली उत्पादन बढ़ाने आई नई तकनीक : लाभार्थियों तक अनुदान के सहारे पहुंचेगी योजना

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भुवन वर्मा बिलासपुर 6 जुलाई 2020


रायपुर- मछली पलकों के लिए राहत की खबर। अब उन्हें तालाब ठेके पर लेने की झंझट से छुटकारा मिलने जा रही है। मछली उत्पादन को बढ़ावा देने और साल में 2 माह के प्रतिबंध से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए बायो फ्लॉक तकनीक से अब घर पर ही मछली उत्पादन कर सकेंगे। बढ़ा सकेंगे अपनी नियमित कमाई और मन माफिक मछलियों के उत्पादन का काम।

अब घर में एक टैंक में ही मछली का उत्पादन संभव हो चुका है। बायो फ्लॉक तकनीक ऐसे लोगों के लिए वरदान बनकर आ चुकी है। जिनकी आय का जरिया केवल मछली पालन और विक्रय ही है। बारिश के दिनों में मछली मारने पर प्रतिबंध के बाद ऐसे लोगों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ता रहा है। अब इस समस्या का न केवल हल निकाला जा चुका है बल्कि नई तकनीक की मांग करने वालों को 40 से 60 प्रतिशत अनुदान की भी व्यवस्था कर दी है जिसकी मदद से घर पर ही मछली का उत्पादन किया जा सकता है।


क्या है बायो फ्लॉक तकनीक
मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए जो बायो फ्लॉक तकनीक लाई गई है उसमे मछली पालन के लिए ना तालाब की जरूरत होगी ना जलाशय ना बांध। जरूरत होगी 10 हजार लीटर क्षमता वाले वाटर टैंक और मछली बीज तथा मछली आहार की। इस टैंक का पानी प्रतिदिन 5 से 1 प्रतिशत बदलना होगा याने इस तकनीक में पानी का मिश्रण सबसे अहम काम है। यदि टैंक की व्यवस्था नहीं हो पा रही हो तो तारपॉलिन का टैंक बनाया जा सकता है या सीमेंट के रेडीमेड टैंक प्रयोग में लाए जा सकते हैं। यह सिस्टम दो महत्वपूर्ण सेवा देता है वह है अंतरिम भोजन के अवशेषों का उपचार और पोषण प्रदान करना।


यह मछलियां और आर्थिक लाभ
बायो फ्लॉक तकनीक में उपयोग किए जा रहे टैंक में पंगेसियस, तिलापिया, देसी मांगुर, सिंघी, कोई कार्प, पाब्दा, एवं कॉमन कार्प जैसी जल्द तैयार होने वाली प्रजाति की मछलियों के बीज डाले जा सकते हैं। मछलियों की जल्द तैयार होने वाली प्रजातियों में इन्हें गिना जा सकता है। यह 6 माह में तैयार हो जाती है। एक टैंक से सवा 3 क्विंटल मछली का उत्पादन हासिल किया जा सकता है। वार्षिक लाभ पर नजर डालने पर यह जानकारी सामने आ रही है कि एक टैंक से 1 साल में 25 हजार रुपए का लाभ हासिल किया जा सकता है। यदि महंगी मछलियों के बीज डाले जाएं तो लाभ का यह प्रतिशत 5 गुना ज्यादा बढ़ सकता है।

इसलिए बायो फ्लॉक तकनीक
नई तकनीक तैयार करने के पीछे जो महत्वपूर्ण कारण है उनमें मुख्य है बढ़ता बाजार और घटती उपलब्धता। खासकर जून से अगस्त माह के बीच की 2 माह की अवधि में मछली मारने पर प्रतिबंध। अन्य कारणों में असीमित श्रमिक लागत और चोरी का भय। नई तकनीक इन सभी परेशानियों का हल लेकर आ रही है। एक और वजह है कि तालाब, जलाशय को ठेके पर लेने के लिए बड़ी रकम की जरूरत पड़ने लगी है क्योंकि यह क्षेत्र भी प्रतिस्पर्धा के दौर से गुजर रहा है।

तकनीक अपनाने पर अनुदान
केंद्र सरकार द्वारा चालू की गई इस परियोजना में बायो फ्लॉक तकनीक की स्थापना करने के लिए सामान्य वर्ग के लाभार्थियों को 40 प्रतिशत अनुदान पर संसाधन उपलब्ध करवाया जाएगा। एससी और एसटी तथा कमजोर वर्ग की महिला लाभार्थियों को 60 प्रतिशत अनुदान पर यह तकनीक उपलब्ध होगी। ऐसे लोगों को 50 लाख तक के प्लान पर 30 लाख और सामान्य वर्ग को 20 लाख रुपए अनुदान का प्रावधान सुनिश्चित किया गया है।

बायो फ्लॉक तकनीक बेहद सुविधाजनक है। सुविधाजनक तकनीकी सरलता को देखते हुए हम विदेशी मछली पालकों को भी ट्रेनिंग दे रहे हैं। फिलहाल लॉक डाउन की वजह से काम रुका हुआ है। इसके बाद फिर से यह काम चालू किया जाएगा। प्रदेश के मछली पालक योजना को लेकर बेहद दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

  • डॉ एस सामल (विषय वस्तु विशेषज्ञ) कृषि विज्ञान केंद्र रायपुर

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