आदिवासी संस्कृति को अक्षुण्य रखते हुए विकास व उद्यमियता से जोड़ना जरूरी-सोममणी बोरा

0
book1

आदिवासी संस्कृति को अक्षुण्य रखते हुए विकास व उद्यमियता से जोड़ना जरूरी-सोममणी बोरा,वन आधारित अर्थव्यवस्था हो -कुलपति
अचंल के युवाओं में षोध,खेल व अध्ययन की नैसर्गिक प्रतिभा-कुलसचिव, सीवीआरयू में भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद नयी दिल्ली के सहयोग से ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा उद्यमिता विकास, कुशल और विकसित भारत के लिए एक जनजातीय परिप्रेक्ष्य विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित।

बिलासपुर। डॉ. सी वी रमन विश्वविद्यालय में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद दिल्ली के सहयोग से उद्यमिता विकास, कुशल और विकसित भारत के लिए एक जनजातीय परिप्रेक्ष्य विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित छत्तीसगढ़ के प्रमुख सचिव आदिवासी एवं जनजाति विकास ने कहा कि बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया है। हमें इस दिशा में भी षोध की जरूरत है, कि कौन सी कम्युनिटी है,जहां सबसे अधिक उद्यमिता है, और वह कौन सी कम्युनिटी है जहां सबसे कम उद्यमिता है। उद्यमिता की कमी के क्या कारण हैं, जिस कम्युनिटी के लोग अधिक उद्यमी हैं वह क्यों हैं।
उन्होंने बताया कि पूरे देश में 10 करोड़ आदिवासी हैं। जिसका एक प्रतिशत छत्तीसगढ़ में हैं। छत्तीसगढ़ में 43 जनजातियां हैं और 162 उप जनजातीय है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को उन्हें मूल धारा से जोड़ने की जरूरत है। उन्हें बाजार से जोड़ने की जरूरत है। इस अवसर पर उन्होंने वन अधिकार से संबंधित जानकारियां भी सभी से साझा की। उन्होने बताया कि वन अधिकार अधिनियम में उन्हें कितने अधिकार प्रदान किया गया है। सोनमणी बोरा ने कहा कि आदिवासी ,संस्कृति, परंपराओं और जीवन षैली को अक्षुण्य बनाए रखते हुए हमें विकास और उद्यमिता से समन्वय करना है। इस अवसर पर उपस्थित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि प्रकाश दुबे ने बताया कि आदिवासियों के विकास के लिए हमें एक समानांतर अर्थव्यवस्था खड़ी करनी होगी, जो वन आधारित अर्थव्यवस्था होगी। जिससे उनके उत्पादों को बाजार मिल सके और सही मूल्य मिल सके। इसके साथ-साथ जिस ग्रामीण शैली में हुए जीवन जीना चाहते हैं। उस तरह से जीवन यापन कर सकें।
इस अवसर पर उपस्थित विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अरविंद तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य ही यह है, कि हम आदिवासी विद्यार्थियों को शिक्षा की मूल धारा से जोड़ें और हमने अपने उद्देश्य की प्राप्ति की है। वर्तमान में 1300 आदिवासी छात्राएं यहां अध्यनरत है। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्र में स्थापित विश्वविद्यालय के पास नैसर्गिक प्रतिभा से धनी विद्यार्थियों की संख्या बहुत है। जिन्हें खेल, शोध, अध्ययन, कौषल विश्वविद्यालय ने प्रदान किया है। राष्ट्रीय संगोष्ठी में शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय, जगदलपुर से आए विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर डा विनोद सोनी ने प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित विभिन्न उधमिता आधारित संभावनाओं पर व्याख्यान दिया l इस अवसर पर विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर के प्रोफेसर डा पुष्पराज सिंह ने ग्रामीण प्रौद्योगिकी आधारित विभिन्न उधमशीलता गतिविधियों पर चर्चा किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर इन प्रैक्टिस अशोक तिवारी ने आदिवासी युवाओं को ईको टूरिज्म से जोड़ने और विकास के लिए अपनी बात रखी।कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ के रूप में इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी दिल्ली के प्रोफेसर डा दुर्गेश त्रिपाठी, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद दिल्ली के पूर्व निदेशक अजय गुप्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अनुपम तिवारी ने बताया कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में 8 राज्यों से 130 पेपर एवं कई राज्यों के विषय विषेशज्ञों ने अपने विचार रखें।कार्यक्रम का संचालन डॉ.ज्योतिबाला गुप्ता ने किया। सम कुलपति डॉ. जयती चटर्जी, प्रोफेसर पुश्प् राज सिंह, गुरूघासीदास विवि, प्रो. विनोद सोनी, शहीद महेंद्र करमा विश्वविद्यालय, बस्तर, , सहायक आयुक्त सी.एल. जायसवाल, डा कमल सेन, केशव दुबे, डा सतिष साहू षोधार्थी, विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. अनुपम तिवारी ने किया।
मुख्य अतिथि सोनमणी बोरा ने संजोही और ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग का भ्रमण कर ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग के उत्पाद को सराहा..
श्री बोरा ने छत्तीसगढ़ी जीवन शैली, कला, संस्कृति, साहित्य को सुरक्षित एवं संवर्धित करने के लिए विश्वविद्यालय में स्थापित किए गए ग्रामीण प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केंद्र, छत्तीसगढ़ लोक कला संस्कृति केन्द्र का भी भ्रमण किया। उन्होंने विवि के इस प्रयास को सराहा। साथ ही साथ उन्होंने ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग में तैयार किए हर्बल उत्पादों को भी देखा और सराहना की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय में केंद्र सरकार और डॉ सी वी रमन विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित इनक्यूबेशन सेंटर में उद्यमिता के बारे में जानकारी ली। उन्होंने यह जाना कि किस तरीके से विश्वविद्यालय में इनक्यूबेशन सेंटर के माध्यम से युवाओं को उद्यमी बनाया जा रहा है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed