छत्तीसगढ़ी दिवस से पहले राजभाषा आयोग में हो सकता है अध्यक्ष की नियुक्ति : फिर चमकेगा किसी पंडित जी का किस्मत…!
रायपुर। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग में अध्यक्ष, सदस्यों की नियुक्ति नहीं दी गई थी ,जिसे लेकर भाजपा ने भूपेश बघेल सरकार को खूब घेरे थे लेकिन बड़े ही आश्चर्य की बात कही जा रही है भाजपा सरकार को एक वर्ष बीतने को है। लेकिन राजभाषा आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं दी गई और इस आयोग में भाजपा सरकार परिवारवाद को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं। क्योंकि रमन सरकार के समय इस आयोग में लगातार पंडितों को आयोग का अध्यक्ष और सचिव के पद पर बिठाया गया । अब विष्णु देव साय की सरकार में पूर्व सचिव सुरेंद्र दुबे की सुपुत्री महिला एवं बाल विकास विभाग की अधिकारी अभिलाषा बेहार को यहां पर प्रतिनियुक्ति देते हुए एक वर्ष के लिए सचिव बनाए गए हैं । ऐसे में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग में परिवार वाद नजर आने लगी है।
वहीं छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति 25 नवंबर 2024 तक होने की संभावना है क्योंकि 27 नवंबर को राजभाषा दिवस है।
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के अध्यक्ष पद के दौड़ में शामिल हैं,नंद किशोर शुक्ल, रामेश्वर शर्मा, रामानंद त्रिपाठी, दुर्गा प्रसाद पारकर,रमेंद्र नाथ मिश्रा, बिहारी लाल साहू,डा सत्याभामा आडिल,पीसी लाल यादव, आयोग के पूर्व सचिव सुरेन्द्र दुबे के साथ ही एक वरिष्ठ संपादक पत्रकार जो साहित्यकार भी है,इस आयोग के अध्यक्ष पद पर दावेदारी कर रहे हैं।इनमें से कौन अध्यक्ष बनते हैं यह तो आने वाले दिनों में पता चल जाएगा। वहीं विभागीय सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व सचिव सुरेंद्र दुबे की बेटी महिला एवं बाल विकास विभाग की अधिकारी अभिलाषा बेहार को प्रतिनियुक्ति देते हुए शासन द्वारा सचिव के पद पर पदस्थ किए गए हैं , इस तरह से इस आयोग में परिवार वाद को बढ़ावा देने का काम भाजपा की विष्णु देव साय सरकार कर रही है।
वहीं रमन सरकार के समय जो भी अध्यक्ष बने वह सब साहित्यकारों को बढ़ावा देने के सिवाए कुछ नहीं कर सके और हमारी मातृभाषा छत्तीसगढ़ी को आज तक राष्ट्रीय स्तर की बात दूर राज्य में ही सरकारी कामकाजी भाषा नहीं बना सके और सब एक वेतनभोगी अधिक बनकर रह गए। ऐसे में विष्णु देव साय सरकार को चाहिए कि अब छत्तीसगढ़ी को बढ़ावा देने वाले होनहार युवा चेहरे को ही इस आयोग में अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की जाए और इस आयोग में परिवार वाद को खत्म किया जाए।
वहीं राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है कि इस बार भी किसी एक पंडित जी को ही अध्यक्ष बनाए जाएंगे । वहीं छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस 27 नवंबर से सप्ताह भर पहले इस आयोग में नियुक्ति किए जाने की बात कही जा रही है। बहरहाल देखना है कि इस आयोग में कौन अध्यक्ष बनते हैं और हमारे छत्तीसगढ की राजभाषा छत्तीसगढ़ी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने काम कर पाते हैं या नहीं..?
अनुमोदन के बाद धूल चाट रही फाइल
वहीं विभागीय सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग में अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को लेकर चली फाइल को पूर्व संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने ” देखा” शब्द लिखकर विभाग को फाइल वापस कर चुके थे और इसके बाद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के पास आदेश संबंधित अनुमोदन के लिए फाइल भेजना था लेकिन यह छः महिने से संस्कृति विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण फाइल धूल चाटने विवश है और दीमक भी इस फ़ाइल की स्वाद चखने में लगे हुए हैं, शायद यही कारण है कि तत्कालीन मंत्री के अनुमोदन के बाद फाइल सीएम तक नहीं पहुंच पाई।