एनएमडीसी का मुख्यालय हैदराबाद (तेलंगाना) से रायपुर क्यो नही..?

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भुवन वर्मा बिलासपुर 15 अक्टूबर 2024

छत्तीसगढ़ का लोहा, तेलंगाना की चांदी… आखिर कब तक …?

जगदलपुर। प्रचुर खनिज भंडार युक्त छत्तीसगढ़ राज्य के बैलाडीला क्षेत्र में लौह अयस्क के दोहन में एनएमडीसी लिमिटेड लगभग विगत सात दशकों से संलग्न है। एनएमडीसी लिमिटेड की अधिकांश लाभकारी इकाइयां छत्तीसगढ़ में संचालित हैं। यह कंपनी अपनी लगभग 80% लाभ छत्तीसगढ़ से अर्जित करती है। बावजूद इसके एनएमडीसी लिमिटेड का मुख्यालय हैदराबाद में होना किसी भी सूरत में तर्कसंगत नहीं जान पड़ता है। अपनी स्थापना से ही एनएमडीसी का रवैया छत्तीसगढ़ प्रदेश, यहां के मूल निवासियों, मूल निवासी कर्मचारियों के प्रति सौतेला रहा है।
इन्ही कारणों से विगत पांच दशकों से यहां के मूल निवासी एनएमडीसी के मुख्यालय को रायपुर स्थानांतरण की नियमित रूप से मांग करते रहे हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश की विधानसभा में सर्व सम्मति से एनएमडीसी के मुख्यालय को रायपुर स्थानांतरण का प्रस्ताव 1998 में सर्व सम्मति से पारित कर केंद्र सरकार को अनुशंसा प्रेषित की जा चुकी है।
भर्तियों में स्थानीय लोगों की घोर उपेक्षा
कार्मिक विभाग के एक उच्च पदाधिकारी की उपस्थिति में विगत महीनों में दो चरणों में एनएमडीसी के विभिन्न इकाईयों के लिए छत्तीसगढ़ की राजधानी की छाती में चढ़कर स्थानीय लोगों की घोर उपेक्षा करते हुए अधिकारियों की भर्ती प्रक्रिया निर्विघ्न संपन्न हुई। यहां के मूल निवासियों ने हमेशा की भांति, उदारता, सहिष्णुता और त्याग का परिचय देने के कारण छत्तीसगढ़ की आत्मा को नुकसान पहुंचाने वाले एक और फौज को खड़ी करने की एक और कोशिश हुई है। वैसे इस भर्ती प्रक्रिया के परिणाम और एनएमडीसी के दुस्साहस पर मूल निवासियों, प्रशासन सहित छग शासन की पैनी नजर है। वहीं दूसरी ओर प्रबंधन की औकात नहीं है कि कर्नाटक या तेलंगाना में स्थानीय लोगों की उपेक्षा कर भर्ती प्रक्रिया संपन्न करा सके। एनएमडीसी के सर्वोच्च प्रबंधन की नजरों में छत्तीसगढ़ की जनता, शासन और प्रशासन की कीमत तुच्छ है।
मुख्यालय का हैदराबाद में होना – प्रदेश की सहिष्णुता के साथ मजाक
छत्तीसगढ़ की सहिष्णुता को कमजोरी आंकने की भूल कतई न करे। प्रदेश की सहिष्णुता की ढाल में यह कंपनी अतार्किक ढंग से मुख्यालय को हैदराबाद में रखकर कुंडली मारकर बैठा हुआ है। पूर्व में भी इस कंपनी का मुख्यालय भारत के कई स्थानों से स्थानांतरित से होते हुए बिना किसी वजह के वर्तमान में तेलंगाना में स्थित है।

// जारी 2 //
मुख्यालय छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं हो सकता ?
कुछ लोग रायपुर में मुख्यालय स्थांनांतरण के विरुद्ध कुतर्क पेश करते हैं कि यहां तुलनात्मक रूप से संचार, आवागमन की सुविधा कम है। ऐसा कुतर्क पेश कर इस आदिवासी बहुल, खनिज बहुल राज्य छत्तीसगढ़ के नैसर्गिक दावे को कमजोर किया जा रहा है। इस लिहाज से आईबीएम का मुख्यालय नागपुर में, डीजीएमएस का मुख्यालय धनबाद में, सीएमपीडीआई का मुख्यालय रांची में, नाल्को का मुख्यालय भुवनेश्वर में बिलकुल नहीं हो सकता। आज से पांच दशक पूर्व क्या हैदराबाद, दिल्ली से बड़ा हो गया था, आज के रायपुर, धनबाद, नागपुर, भुवनेश्वर से तो बड़ा नहीं था?
छत्तीसगढ के दावे को शिथिल करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे कंपनी स्थापना के बाद से समय-समय पर अपनाती रही है। जैसे;
1. नुकसानशुदा स्पंज आयरन पलोंचा (तेलंगाना) का अधिग्रहण।
2. नुकसानशुदा सिलिका सैंड परियोजना लालापुर (यूपी) का अधिग्रहण।
3. यूपीएफओ वाईजाग (आंध्र प्रदेश) प्रचालन का निष्फल प्रयास।
4. एनएमडीसी पावर प्लांट गोंडा, यूपी में स्थापना का नाकाम प्रयास।
5. प्रबंधन की नाकामी की वजह से आरएंडडी हब्सीगुड़ा, हैदराबाद (तेलंगाना) भूमि का समर्पण ।
6. आनन-फानन में वाईजाग (आंध्र प्रदेश) में 1000 एकड़ भू-भाग का क्रय।
7. रायपुर में स्थित ग्लोबल एक्सप्लोरेशन सेंटर (जीईसी) रायपुर को बंद करने की योजनाबद्ध रणनीति
8. विस्थापित आरएंडडी हब्सीगुड़ा, हैदराबाद (तेलंगाना) की भूमि पर मुख्यालय को गुपचुप ढंग से शिफ्ट करने की आत्मघाती चेष्टा।
इसके विरुद्ध दूसरी ओर 1997 से लेकर 2020 करीब ढाई दशक तक नगरनार स्टील प्लांट की स्थापना को लेकर कोई गंभीर प्रयास नहीं हुए। प्रदेश सरकार के अनुरोध के बावजूद बलोदा बेलमुंडी (महासमुंद), पायलीखंड / देवभोग (गरियाबंद) डायमंड ब्लॉक सहित छत्तीसगढ़ स्थित लिथियम ब्लॉक, क्रिटिकल मिनरल ब्लॉक को पाने के लिए पूरे मनोयोग से प्रयास का अभाव एवम उदासीनता साफ साफ दिखाई पड़ती है। वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया सहित विदेशों में छत्तीसगढ़ से अर्जित लाभ को पानी की तरह बहाया जा रहा है। हर साल मैराथन के नाम पर, एयरपोर्ट में विज्ञापन के नाम पर करोड़ों रुपए हैदराबाद में लुटाया जा रहा है। मेहनत करे मुर्गा, अंडा खाये फकीर वाला मुहावरा ऐसे ही नहीं बना होगा। विगत कुछ महीनों में एनएमडीसी की कार्यपद्धति, भर्ती प्रक्रिया, पदोन्नति प्रक्रिया, स्थानांतरण प्रक्रिया, सामग्री क्रय संबंधी डीओपी में अनियमितता, विदेश विदेश यात्राएं संदेह के दायरे में है, विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगे हैं, जो केंद्रीय एजेंसियों के राडार पर हैं, ऐसा माना जा रहा है ।

मुख्यालय रायपुर स्थानांतरण से कंपनी को क्या लाभ होगा?  चूंकि अधिकांश कर्मचारी, अधिकारी छत्तीसगढ़ में कार्यरत हैं, बार बार इनके मुख्यालय के आधिकारिक यात्राओं में आवागमन से होने वाली अवांछित यात्रा भत्ता आदि व्यय को न्यूनतम किया जा सकेगा। वाहनों के अनावश्यक आवाजाही को नियंत्रित कर पर्यावरण प्रदूषण को भी कम किया जा सकेगा। छत्तीसगढ़ के ठेकेदारों, वेंडरों, सर्विस प्रोवाइडर्स को, सामग्री विक्रेताओं को न्यून लागत पर इंगेज किया जा सकेगा, जिससे करोड़ों रुपयों की बचत होगी। साथ ही जीएसटी, कार्पोरेट टैक्स के रूप में राज्य को लाभ होगा। यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा, ठेकेदारों, वेंडरों को अवसर मिलेगा। सबसे बड़ी बात राज्य से आवक का उपयोग राज्य में निवेश के रूप में होगा। तेलंगाना के मुख्यमंत्री इस बात को अच्छी तरह समझते हैं, लेकिन क्या छत्तीसगढ़ के भाग्य विधाता और कर्णधारगण समझते हैं?
// जारी 3 //
आशा की किरण
अब चूंकि खान क्षेत्रों में सत्ता पक्ष से जुड़े यूनियन का प्रादुर्भाव हो चुका है। केंद्र और राज्य दोनो जगह एक ही पार्टी की सत्ता है, मामले के शीघ्र निपटान में सहायता मिलेगी। इस विषय पर तेलंगाना सरकार को भी छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए। विदित हो कि विगत दिनों छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान राज्य व्यापी विभिन्न संगठनों द्वारा उठाए गए एनएमडीसी के मुख्यालय को रायपुर छत्तीसगढ़ स्थानांतरित करने संबंधी चिर प्रतीक्षित मांग को इस्पात मंत्री श्री एच.डी.कुमारस्वामी द्वारा पूरा करने का आश्वासन दिया गया था।

छत्तीसगढ़ (पूर्ववर्ती मध्यप्रदेश) मूल निवासी संघर्ष समिति के संयोजक श्री एस.एल.वर्मा ने आक्रोश व्यक्त करते हुए बताया कि पांच दशक से छत्तीसगढ़ का नमक खा रहे एनएमडीसी को अब स्वतः सामने आकर इस माटी का कर्ज चुकाने का वक्त आ गया है।
रत्नगर्भा छत्तीसगढ़ प्रदेश की अस्मिता से जुड़े इस गंभीर विषय पर तत्काल संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से प्रार्थना है कि जनभावनाओं के अनुरूप निम्नलिखित प्रस्ताव पर त्वरित कार्यवाही की जाए –
1. राज्य सरकार द्वारा अटल नगर नवा रायपुर में आबंटित भूमि पर / या नई जगह पर एनएमडीसी मुख्यालय स्थानांतरित की जाए।
2. साथ ही रायपुर में स्थित ग्लोबल एक्सप्लोरेशन सेंटर का नाम के अनुरूप पूर्ण रूप से सक्रिय संचालन प्रारंभ किया जाए।
4. जन-भावनाओं के अनुरूप राज्य सरकार और एनएमडीसी के मध्य एमओयू कर राज्य की खनिज संपदा, लिथियम सहित क्रिटिकल मिनरल्स के गवेषण, दोहन पर वृहत पैमाने पर कार्य प्रारंभ किया जाए। बैलाडीला क्षेत्र में लौह अयस्क डिपॉजिट 4, 13, बेलमुंडी सरायपाली / देवभोग हीरा खदान पर भी संयुक्त उद्यम के माध्यम से कार्य शीघ्र प्रारंभ हो ।
5. साथ ही नगरनार इस्पात संयंत्र के जगदलपुर में स्थित मुख्यालय का पूर्ण रूप से सक्रिय संचालन प्रारंभ किया जाए।
6. छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को नौकरी में प्राथमिकता दी जाए। मूल निवासी कर्मचारी अधिकारियों के प्रति पदोन्नति, स्थानांतरण सहित अन्य कार्मिक मामलों में सौतेला व्यवहार तत्काल बंद किया जाए।
7. प्रदेश निहित सीएसआर, स्पॉन्सरशिप, लोक कल्याणकारी योजनाओं में भागीदारी बढ़ाई जाए। तेलंगाना में एनएमडीसी की लाभकारी इकाई नहीं होने के बावजूद वहां विशेष झुकाव/ प्राथमिकता क्यों? छत्तीसगढ़ के साथ एनएमडीसी का सौतेला रवैया का अंत कब रुकेगा? यहां की थाली में खाकर यहां की थाली में छेद कब तक?

धान और खनिज के कटोरे के दोहन के बाद छत्तीसगढ़ महतारी की पीड़ा को समझते हुए, जनाकांक्षाओं के अनुरूप चिर प्रतीक्षित मांग (केवल और केवल) मुख्यालय रायपुर स्थानांतरण के द्वारा संभव है, जबकि अब राज्य और केंद्र दोनों जगहों पर डबल इंजिन की सरकार है।

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5 thoughts on “एनएमडीसी का मुख्यालय हैदराबाद (तेलंगाना) से रायपुर क्यो नही..?

  1. Fran Candelera naturally like your web site however you need to take a look at the spelling on several of your posts. A number of them are rife with spelling problems and I find it very bothersome to tell the truth on the other hand I will surely come again again.

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