दिव्यांग कर्मचारियों को घर के नजदीक मिलेगी पोस्टिंग: हाईकोर्ट ने पदस्थापना-तबादला नीति बनाने सरकार को दिए आदेश, RSI ने लगाई थी याचिका

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बिलासपुर/ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अलग-अलग विभागों में काम करने वाले दिव्यांग अधिकारी और कर्मचारियों की पोस्टिंग और तबादले के लिए नीति बनाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के अंतर्गत राज्य आयुक्त की नियुक्ति की जाए। कोर्ट के आदेश से दिव्यांग कर्मियों के तबादले और पोस्टिंग में उनके अधिकारों का पूरा संरक्षण होगा, इसलिए यह उनके लिए लाभकारी होगा।

कर्मचारियों के संबंध में नीति बनाने का आदेश

एक मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस पीपी साहू की एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को दिव्यांग अधिकारियों और कर्मचारियों के संबंध में नीति बनाने और कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया।

आदेश में लिखा गया है कि धारा 80 के तहत आयुक्त को अलग-अलग सक्षम व्यक्तियों के अधिकारों के हनन के संबंध में खुद से विचार करना होगा।

दिव्यांगों को पसंदीदा जगह पोस्टिंग

जस्टिस पीपी साहू ने अपने आदेश में लिखा कि सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादलों के संबंध में कहा है कि शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों की स्वतंत्र और आसानी से घूमने में असमर्थता उनके लिए बाधा बनती है।

दिव्यांग व्यक्तियों के समक्ष आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, देश भर की राज्य सरकारों को 20 जुलाई 2000 को एक अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया गया था, ताकि दिव्यांग व्यक्तियों को यथासंभव उनकी पसंद के स्थानों पर तैनात किया जा सके।

कोर्ट के आदेश के अनुसार, दिव्यांग व्यक्तियों को दिए जाने वाले इस लाभ का उद्देश्य अन्य बातों के अलावा दिव्यांग व्यक्तियों को ऐसी जगह पर तैनात करना है। जहां उन्हें आसानी से मदद मिल सके। साथ ही उन्हें सरकारी कामकाज करने में किसी तरह की परेशानी न हो।

घर के करीब पोस्टिंग

कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि लंबी दूरी की यात्रा से बचने के लिए निवास से दूरी एक प्रासंगिक विचार हो सकता है। सरकारी आदेश के माध्यम से दिव्यांगों को जो लाभ दिया गया है, उसे ऐसे नियमों और शर्तों पर लाभ प्राप्त करने के अधिकार के प्रयोग के अधीन कर के नहीं छीना जा सकता है, जिससे लाभ निरर्थक हो जाएगा।

बेमेतरा के RSI के तबादले से उठा मुद्दा

दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों तथा उन्हें संरक्षण देने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पीछे बेमेतरा नगर पालिका के RSI (सहायक राजस्व निरीक्षक) के तबादले के खिलाफ संघर्ष से शुरू हुआ।

दरअसल, सचिव नगरीय प्रशासन ने 12 सितंबर 2023 याचिकाकर्ता RSI का तबादला नगर पालिका परिषद कुम्हारी, जिला दुर्ग कर दिया था। इस आदेश को उन्होंने 21 अगस्त 2024 को चुनौती, जिसके तहत उसे वर्तमान पदस्थापना वाली जगह से हटाकर स्थानांतरित स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने के लिए कहा गया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप दुबे ने जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में पैरवी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को प्रारंभ में शारीरिक रूप से विकलांग श्रेणी के तहत नगर पालिका परिषद बेमेतरा में भृत्य के पद पर नियुक्त किया गया था। वह 70 प्रतिशत चलने-फिरने में अक्षम है (एक हाथ पूरी तरह से कटा हुआ है)।

खुद से विचार करना होगा

कोर्ट का कहना है कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत राज्य में एक राज्य आयुक्त की नियुक्ति की जानी है और धारा 80 के तहत आयुक्त को अलग-अलग सक्षम व्यक्तियों के अधिकारों के हनन के संबंध में खुद से विचार करना होगा।

राज्य शासन के अधिवक्ता का कहना था कि विवादित स्थानांतरण आदेश एक वर्ष पूर्व जारी हुआ था और रिलीविंग आदेश जारी होने के बाद ही याचिकाकर्ता ने स्थानांतरण आदेश और रिलीविंग आदेश दोनों को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की है।

ऐसे मिली राहत

जस्टिस पीपी साहू ने अपने आदेश में लिखा है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय और याचिकाकर्ता की रिट याचिका में उठाए मुद्दों के मद्देनजर स्थानांतरण आदेश पर रोक लगाने के आदेश दिए गए हैं। आदेश के साथ ही याचिकाकर्ता को नगर पालिका परिषद बेमेतरा में कार्य करने की अनुमति दे दी गई है।

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