पहली से आठवीं की अंकसूची में जाति का कॉलम गायब

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भुवन वर्मा, बिलासपुर 14 मई 2020

  • महायोग, प्रमाणितकर्ता सहित कई गलतियां सामने आई.
  • अब सील और मैनुअल से त्रुटि सुधारने की कवायद.

भाटापारा। कोरोना संक्रमण के दौर में राज्य शासन ने कक्षा पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चों को जनरल प्रमोशन देने की तैयारी पूरी कर ली है। प्रदेशभर के स्कूलों को अंकसूची भेज दिए गए हैं। अंकसूची में बच्चों के बारे में पूरी जानकारी शिक्षकों को भरनी है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा भेजे गए प्रमाण पत्र में जाति के कॉलम को ही छोड़ दिया है। यह कॉलम सबसे महत्वपूर्ण है। पांचवीं और आठवीं के अंकसूची में ही बच्चों के जन्म से लेकर जाति का स्पष्ट उल्लेख रहता है।

स्कूल शिक्षा विभाग ने जिले के प्राइमरी और मिडिल स्कूलों को प्रिंटेड अंकसूची जारी कर दिया है। अंकसूची में संबंधित स्कूल के शिक्षकों को स्कूल के नाम से लेकर बच्चों का नाम, कक्षा, जन्मतिथि के अलावा सबसे महत्वपूर्ण जाति का उल्लेख करना जरूरी है। नई अंकसूची में दिए गए कॉलम में जो जगह दी गई है वह इतनी छोटी है कि अंकों व शब्दों में इसे लिखा जाना मुश्किल है। जन्मतिथि के अलावा स्थायी निवास के पते के लिए जारी कॉलम भी छोटा है। पूरा पता तो कॉलम में लिखा जाना मुश्किल जान पड़ रहा है। छात्रों के जाति के लिए तो कॉलम ही नहीं है। शिक्षकों का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षाओं या फिर पहचान पत्र के लिए भी प्राइमरी और मिडिल स्कूल की इन्हीं दो कक्षाओं के प्रमाण पत्र की मांग की जाती है। कोरोना संक्रमण के दौरान जनरल प्रमोशन पाने वाले बच्चों की अंकसूची में इसका उल्लेख ही नहीं रहेगा।

इनको होगी मुश्किल
अनुसूचित जाति व जनजाति के ऐसे छात्र जो मौजूदा दौर में जनरल प्रमोशन के जरिए आगे की कक्षा में जाएंगे भविष्य में प्रतियोगी परीक्षा या फिर अन्य दस्तावेज बनवाने के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। इनके पास पांचवी व आठवीं का अंकसूची तो होगा पर जाति का उल्लेख नहीं रहेगा।

अंकसूची में ये है खामी
जन्मतिथि के कॉलम में अंकों व शब्दों में स्पष्ट रूप से इसका उल्लेख करना होता है। कॉलम तो दिया गया है । यह बहुत छोटा है। अंकों व शब्दों में इसका उल्लेख करना संभव नहीं है। जाति का कॉलम गायब है। यह कॉलम ही नहीं है। विद्यार्थी क्रमांक और यूडाइस दोनों अलग-अलग चीजें हैं। इस बार से विद्यार्थियों का भी आइडी नंबर का उल्लेख करना है। यू डाइस स्कूल के पहचान के लिए है। शिक्षा विभाग ने इसके जरिए स्कूलों की नंबरिंग की है। नंबरिंग के हिसाब से इसे दर्ज करना है। इसी नंबरिंग के हिसाब से स्कूल की पहचान होती है।

” यह गंभीर त्रुटि है, जो त्रुटियां हुई है उसमें सुधार के लिए तत्कालीक व्यवस्था के रूप में सील या मैनुअल कलम बनाकर उसे भरा जाएगा ” – आर के वर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी बलौदाबाजार।

विशेष संवाददाता – भूपेंद्र वर्मा भाठापारा की रपट

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