पीसीसीएफ का कारनामा: पशुओं के शिकार के लिए लागू नियम का पेड़ों को काटने के लिए किया इस्तेमाल, वन मंत्री से हुई शिकायत

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रायपुर। वन्य प्राणी (संरक्षण) अधिनियम के तहत अभयारण्य में पेड़ को काटने की अनुमति प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) नहीं दे सकते. लेकिन छत्तीसगढ़ वन विभाग के अधिकारियों ने असम से लाए गए वन भैंसे को राजकीय पशु बता कर भैंस बाड़ा बनाने के नाम पर इलाके के 113 पेड़ों को काटने और 35 पेड़ों की छटनी करने का आदेश दे दिए. मामले की शिकायत वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने वन मंत्री से की है.नितिन सिंघवी ने शिकायत में बताया है कि 2020 में जब वन भैंसा असम से बारनवापारा अभयारण्य लाये जाने थे, तब अभ्यारण में बनाए जा रहे भैंस बाड़ा (ब्रीडिंग सेंटर) के चारों तरफ 113 पेड़ों को काटने और 35 पेड़ों की छटनी करने का आदेश प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) ने दिया. उन्होंने शिकायत के साथ पेड़ काटे जाने को लेकर दिए गए आदेश का प्रमाण भी प्रस्तुत किया है.सिंघवी ने बताया कि आदेश जारी करने के पूर्व बनाई गई नोटशीट के अनुसार पेड़ों को काटने के लिए वन्य प्राणी (संरक्षण) अधिनियम की धारा 12 (बब) का सहारा लिया गया. जबकि, यह धारा विशेष उद्देश्यों जैसे शिक्षा, वैज्ञानिक अनुसंधान, वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए वन्यजीव की हंटिंग की अनुमति देने की धारा है.

धारा 12 (बब) के तहत वैज्ञानिक प्रबंधन की अनुमति दी जाती है, जिसके तहत किसी वन्य पशु का किसी अन्य समुचित प्रवास के लिए स्थानांतरण की अनुमति या किसी वन्य पशु का वध किए बिना या उसे विष दिए बिना या नष्ट किए बिना पापुलेशन मैनेजमेंट की अनुमति दी जाती है. पेड़ों की हंटिंग करने की अनुमति इस धारा के तहत नहीं दी जा सकती.

शिकायत में बताया गया है कि धारा 12 में एक भी बार पेड़ या वृक्ष शब्द का उपयोग नहीं किया गया है, फिर भी फरवरी 2020 में पदस्थ अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने इस धारा के तहत में अनुमति दी और इसके लिए 15 अप्रैल 2020 को 113 का पेड़ काटने की और 35 पेड़ की छटनी की अनुमति दी गई और ये पेड़ काट दिए गए.

गौरतलब है कि 15 अप्रैल 2020 को ही असम से दो वन भैंसा बारनवापारा अभयारण्य लाये गए थे. 18 अप्रैल 2023 को चार और लाए गए. इन वन भैसों को वंश वृद्धि के लिए ब्रीडिंग सेंटर में रखा गया है.

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