विश्व ग्लूकोमा सप्ताह 12 से 18 मार्च पर विशेष : कांचबिंद ग्लोकोमा दृष्टि चोर से बचें – डा. एल सी मढरिया वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ
विश्व ग्लूकोमा सप्ताह 12 से 18 मार्च पर विशेष : कांचबिंद ग्लोकोमा दृष्टि चोर से बचें – डा. एल सी मढरिया वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ
भुवन वर्मा बिलासपुर 18 मार्च 2023
बिलासपुर – पूरे विश्व में “ ग्लूकोमा सप्ताह 12 से 18 मार्च तक ग्लूकोमा सप्ताह मनाया गया, इस सप्ताह मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को ग्लूकोमा जिसे कांचबिंद या काला मोतिया भी कहते , से बचने वाले परमानेंट अंधत्व से बचने व जागरूकता लाने के लिए मनाया जाता है |
एकॉइन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ. एल. सी. मढरिया ने बताया पूरे विश्व में 80 मिलीयन लोगों को ग्लोकोमा है और उसमें से 12 मिलियन लोग भारत से है इनमें से आधे से ज्यादा लोगों को पता ही नहीं रहता कि उसे ग्लूकोमा है अधिकांश लोगों को कम दिखाई देता है तो वह सोचते हैं कि उम्र के कारण मोतियाबिंद कभी भी ऑपरेशन करा लेंगे लेकिन जिसे ग्लूकोमा रहता है उनकी आंख की नसें सूखते – सूखते जब पूर्ण रूप से सुख जाती है तब मरीज सोचता है अब मेरा मोतियाबिंद पक गया है और नेत्र चिकित्सक के पास जाता है तब पता चलता है कि उसे कांचबिंद /ग्लोकोमा है और उसकी आंख की नसे (ऑप्टिक नस) पूर्ण रूप से सूखने के कारण मरीज पूर्ण रूप से अंधा हो गया है और इसका दुनिया में कहीं भी इलाज नहीं है |
अतः जो भी मरीज 35 से 40 वर्ष के बाद अगर कम दिखाई दे रहा है तो तुरंत नेत्र चिकित्सक से जांच करवावे की कही मोतियाबिंद या कांचबिंद तो नहीं हो रहा है और समय में इलाज होने से उसकी दृष्टि को बचाया जा सकता है मोतियाबिंद में ऑपरेशन के बाद अधिकांश लोगों की रोशनी 100% वापस आ जाती है फेको ऑपरेशन के बाद लेंस प्रत्यारोपण करने से, लेकिन कांचबिंद में इलाज में जितना देरी होते जाता है उतना ही उसका नस सूख जाता है और रोशनी पूरी नहीं आती है अगर कांचबिंद के शुरुआत में जांच से पता चल जाए तो उसकी रोशनी 100% सुरक्षित रखा जा सकता है, दवाई वह ऑपरेशन से, इसलिए प्रारंभिक जांच के इलाज का महत्व है 35 से 40 वर्ष के मरीज हर 6 माह में एक बार आंख की अवश्य जांच कराकर इस भयानक अंधत्व से बचा जा सकता है डायबिटीज के मरीजों को कांचबिंद होने की संभावना ज्यादा रहती है एवं जिनके फैमिली में ग्लूकोमा के मरीज हैं या जो स्टेरॉयड लेते हैं, बच्चे जिसे लंबे समय तक एलर्जी का इलाज होता है, या जिसका जल्दी-जल्दी चश्मे का नंबर बदलता है उन्हें कांचबिंद की संभावना रहती है कांचबिंद का लक्षण कम दिखाई देना, कभी लाल हो जाना, व दर्द होना ,कुछ मरीजों को होता है आंख का टेंशन बढ़ जाता है |
इस विश्व ग्लूकोमा सप्ताह में आइये यह शपथ ले कि हम जो 35 से 40 वर्ष के या ज्यादा उम्र के हैं इस दृष्टि चोर ग्लूकोमा से बचने के लिए अपने आंख की जांच, आंख का प्रेशर व आंख की नसों की जांच हर 6 माह में नियमित करवाएंगे और अपनी अनमोल रोशनी को जो ईश्वर के द्वारा दिया हुआ उपहार है उसे सुरक्षित रखें । डॉ. एल. सी. मढरिया एकॉइन राष्ट्रीय अध्यक्ष व वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ नेहरू चौक , बिलासपुर ( छ.ग.) ने दी।