सभी के पूर्वज सनातनी हिन्दू : आरएसएस के पास अपना ना कोई ग्रंथ है और ना ही ग्रंथ का ज्ञान -पुरी शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती
सभी के पूर्वज सनातनी हिन्दू : आरएसएस के पास अपना ना कोई ग्रंथ है और ना ही ग्रंथ का ज्ञान -पुरी शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती
भुवन वर्मा बिलासपुर 08 फ़रवरी 2023
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
जगदलपुर – सभी के पूर्वज सनातनी हिन्दू ब्राह्मण ही थे , प्रथम ब्राह्मण का नाम ब्रह्माजी है। शास्त्रों का अध्यनन करें तो पता चलेगा कि विश्व में जितनी विज्ञान-कला है सबको उ यत्भाषित करने वाले ब्राह्मण ही हैं। शिक्षा , रक्षा और सेवा के प्रकल्प सदा संतुलित रहें ,इसके लिये सनातन व्यवस्था को नहीं मानेगें तो कौन सी व्यवस्था होगी। आरएसएस के पास अपना ना कोई ग्रंथ है और ना ही ग्रंथ का ज्ञान है। वर्ण व्यवस्था पंडितों ने बनाई है , मूर्खों ने तो नहीं बनाई। आज भी विश्व में अर्थ की गुत्थी सुलझाने के लिये भारत के ब्राह्मणों के पास ही आते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की जितनी गुत्थियां थी सब हमारे पास आकर सुलझीं।
उक्त बातें पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने बस्तर प्रवास के दौरान ऐतिहासिक लाल बाग मैदान में विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुये कही। इस दौरान उन्होंने मीडिया से भी धर्म से संबंधित गरमाई सभी मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कूटनीति के पांचों भेदों में माहिर हैं , वे हिन्दूत्व के पक्षधर नहीं हैं बल्कि कूटनीति की वजह से वे पूरे विश्व में विख्यात हैं। हालांकि उन्हें खुद में खुद का निरीक्षण करना चाहिये। जब वे गौ रक्षकों को गुंडा कहना छोड़ देंगे , तब उन्हें समझा जायेगा कि वे हिंदुत्व की धारा में बह रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डगमगा रहे हैं। वे अगली बार पीएम बनेंगे या नहीं जब मेरे पास आएंगे तो ये मैं उन्हें उनके कान में बताऊंगा। पुरी शंकराचार्यजी ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री को लेकर कहा कि योगी आदित्यनाथ मेरे लाड़ले-प्यारे हैं , उनमें अनुशासन है और बहुत गुण हैं। उनमें राजनीति और शासन करने की क्षमता है। जब वे सीएम नहीं थे तो उस समय मैं जब गोरखपुर जाता था तो मुझसे मिलने आते थे। मेरे साथ-साथ रहते थे। इसके अलावा उन्होंने आसाम के मुख्यमंत्री की भी तारीफ की। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि ये दोनों मुख्यमंत्री खाऊ किस्म के नहीं हैं। इनमें खाऊ की प्रवृत्ति नहीं होने के कारण सर्वगुण सम्पन्न हैं। ना तो हिंदू पर अन्याय करते हैं और ना ही करने देते हैं। शंकराचार्य से जब पूछा गया कि बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री भविष्यवाणी बताते हैं। ये कोई चमत्कार है या फिर उनका कोई मैजिकल ट्रिक है? इसे आप किस नजरिए से देखते हैं? इसका जवाब देते हुये उन्होंने कहा कि जो भी हो। धीरेंद्र शास्त्री किसी ना किसी तरह से हिंदुत्व को बचा रहे हैं। इस बारे यदि जानना हो तो उनके पास जा कर देख लीजिये। छग के आबकारी मंत्री कवासी लकमा के आदिवासी वाले बयान पर शंकराचार्य ने प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि आदिवासी शब्द हमारी संस्कृत पर कुठाराघात है , ये हिन्दू नहीं तो कौन हैं ? इस दौरान शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने मंत्रीमंडल की व्यवस्था भी बताई की , उसमें किस वर्ण से कितने लोग लिये जाते थे। साथ ही छग के नक्सलवाद जैसे मुद्दे पर राजनैतिक पार्टियों के घेरते हुये उन्होंने कहा कि अगर पक्ष-विपक्ष नक्सलवाद से हाथ खींच लें तो कितने नक्सली रह जायेंगे। उन्होंने डंके की चोट कहा कि नक्सली राजनीतिक पार्टियों के ही पाले हुये हैं। सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष दोनों नक्सलवाद से अपना हाथ खींच लें , तो मैं नक्सलवाद खत्म कर दूंगा। इसके अलावा उन्होंने मोहन भागवत के बयान पर सीधा निशाना साधते हुये कहा कि भागवत को ज्ञान और जानकारी का अभाव है। हिंदू के पास रामायण और महाभारत है . ईसाई के पास बाइबिल है , मुस्लिम के पास कुरान है , लेकिन आरएसएस के पास कोई ग्रंथ नहीं है , इसलिये उनके पास ज्ञान – विज्ञान के ज्ञान की कमी है और इसीलिये वे कुछ भी बोल देते हैं। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जातिवाद को लेकर बड़ा बयान दिया था। मुम्बई में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुये आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था – हमारी समाज के प्रति भी ज़िम्मेदारी है। जब हर काम समाज के लिये है तो कोई ऊंचा , कोई नीचा या कोई अलग कैसे हो गया? भगवान ने हमेशा बोला है कि मेरे लिये सभी एक हैं , उनमें कोई जाति , वर्ण नहीं है। लेकिन पंडितों ने श्रेणी बनाई , वो गलत था। भागवत ने कहा था कि हमारे समाज के बंटवारे का ही फायदा दूसरों ने उठाया। इसी का फायदा उठाकर हमारे देश में आक्रमण हुये और बाहर से आये लोगों ने फायदा उठाया। देश में विवेक , चेतना सभी में एक है उसमें कोई अंतर नहीं , बस मत अलग-अलग है।