भूल कर भी न करें अपने घर से गणपति विसर्जन : जानिए गणपति उत्सव की शुरुआत कहां से हुई और क्यों करते हैं गणपति विसर्जन

0

भूल कर भी न करें अपने घर से गणपति विसर्जन। जानिए गणपति उत्सव की शुरुआत कहां से हुई और क्यों करते हैं गणपति विसर्जन

भुवन वर्मा बिलासपुर 31 अगस्त 2022

मुंबई । गणपति विघ्नहर्ता है और हमारी संकटो से रक्षा करने वाले है। गणेश चतुर्थी पर उनका जन्मदिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इसको सार्वजनिक पंडालों में 11 दिन तक यानी अनंत चतुर्दशी तक मानया जाता है।
क्या आप भी दूसरों की देखा देखी अपने घर पर गणपति उत्सव मनाने लगे हैं और अपने विघ्नहर्ता गणपति को अपने घर से विसर्जित करने लगे हैं, आप उनको पानी में बहा देते हैं और कहते हैं कि अगले बरस तू आना तो आप बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं। आज स्प्रिचुअल गुरु निष्ठा सारस्वत जी से जानिए इसका कारण।
आज जानिए गणपति उत्सव क्यों मनाया जाता है महाराष्ट्र में क्यों करते हैं गणपति विसर्जन? इसका इतिहास क्या है?
हमारी शास्त्र गणपति और लक्ष्मी विसर्जन के बारे में क्या कहते हैं? विसर्जन नहीं तो कैसे करें गणपति पूजा और मनाए गणपति उत्सव ?

  • निष्ठा सारस्वत- एक लेखिका, मनोवैज्ञानिक, मोटिवेशनल स्पीकर और स्प्रिचुअल गुरु हैं, ये पिछले 21 वर्षों से योग और स्वास्थ्य और पोषण, आध्यात्मिकता और मनोविज्ञान के अनूठे संयोजन पर लिख रही हैं। इस विषय पर उनकी पुस्तक और लेख प्रतिष्ठित प्रकाशनों में प्रकाशित हुए हैं।
    उन्होंने विभिन्न संस्थानों में खाद्य और पोषण और बाल मनोविज्ञान पढ़ाया है। उपरोक्त विषयों पर उनके द्वारा बहुत से शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है।
    विश्व प्रसिद्ध योग गुरु ‘पद्मश्री’ भारत भूषण जी की बेटी है।उन्होंने बहुत कम उम्र से ही योग सीखा और पोषण और मानसिक विभाग के प्रमुख के रूप में मोक्षयतन अंतर्राष्ट्रीय योगाश्रम से जुड़ी हुई हैं। विशेष रूप से योग, पोषण, मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता के अनूठे संयोजन के माध्यम से सैकड़ों रोगियों को राहत प्रदान कर रही है।

गणेश चतुर्थी को गणपति जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है पूरे भारत में इस दिन गणेश पूजा की जाती है और कुछ लोग उपवास रखते हैं और कुछ गणपति पूजन करते हैं। तुम्हारा समय इसे 11 दिन तक मनाया जाता है कई लोग नई प्रतिमा खरीद कर लाते हैं उसको स्थापित करते हैं फिर 3, 7 या 11 दिन के बाद मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है।
पहले महाराष्ट्र में भी घर में ही गणेश जी की पूजा की जाती थी और मूर्ति को विसर्जित नहीं किया जाता था पर जब अंग्रेजों का शासन आया तब उन्होंने पेशवा उनके राज्यों पर भी अधिकार कर लिया और उन्होंने हमारे त्योहारों को मानने पर भी पाबंदी लगाना शुरू कर दिया। कहीं पर भी एक साथ खड़ा होने पर पाबंदी थी क्योंकि उन्हें यह लगता था एक कहीं पर भी समाज एक साथ होगा तो उनमें एकता बढ़ेगी।
ऐसा कई वर्षो तक रहा। इससे समाज में विघटन शुरू हो गया और अपने धर्म के प्रति उदासीनता बढ़ने लगी और हम विघटित होने लगे। उस समय महान क्रांतिकारी नेता लोकमान्य तिलक जी ने सोचा कि समाज को कैसे संगठित और एकत्रित किया जाए। उन्होंने विचार किया कि सिर्फ गणपति ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जो समाज के सभी स्तरों में पूजनीय और माननीय है उन्होंने समाज को एकत्रित और संगठित करने के उद्देश्य से सन 1893 मैं सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरुआत पुणे से की। तब यह तय किया गया गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक गणेश उत्सव मनाया जाएगा तब से ही यह उत्सव महाराष्ट्र में मनाया जाता है।
गणेश उत्सव के समय सब लोग मिलते गणपति जी की बड़ी सी मूर्ति मिलकर बनाते सब परिवार उस पंडाल में रखी मूर्ति की सेवा करते आपस में बातें करते मिलते जुलते और 11दिन वहीं रहते। इससे लोगों में प्रेम बड़ा और समाज संगठित होना शुरू हो गया , क्रांतिकारी आंदोलन को इससे बल मिला। 11 दिन के बाद उन मूर्तियों का क्या करें ? उन्हे रखना संभव नहीं था यही सोचकर उनको जल में विसर्जित किया जाने लगा।
घर में रखी मूर्तियां कभी भी विसर्जित नहीं की जाती थी हमारे शास्त्रों में गणपति और लक्ष्मी दो ऐसे देवता हैं जिनके लिए यह माना जाता है कि वह सदा हमारे घर में रहते हैं और हमारे परिवार का हिस्सा है जिनका कभी भी विसर्जन नहीं किया जाता है।
गणपति को घर से विसर्जित करने का अर्थ है की हम अपने घर से सुख समृद्धि को ही विसर्जित कर रहें है। जब हम ये कहते है की गणपति अब आप अगले बरस आना इसका अर्थ ये है की अगले बरस तक हमें गणपति की आवश्यकता ही नहीं। सोचिए की दिवाली पर आप किसका पूजन करेंगे?
गणपति उत्सव पूरे धूम धाम से मनाएं बस अपने घर से उनका विसर्जन न करें। हमारे घर की मूर्तियां हमारा सौभाग्य होती हैं। सिर्फ खंडित मूर्तियों का ही विसर्जन किया जाता है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *