विश्वविद्यालय में संपन्न हुआ ‘‘भारतीय समाज की पुर्नस्थापना में डाॅ भीमराव अंबेडकर जी की प्रासंगिकता’’ विषय पर विशिष्ट व्याख्यान

0
IMG-20220413-WA0044

विश्वविद्यालय में संपन्न हुआ ‘‘भारतीय समाज की पुर्नस्थापना में डाॅ भीमराव अंबेडकर जी की प्रासंगिकता’’ विषय पर विशिष्ट व्याख्यान

भुवन वर्मा बिलासपुर 13 अप्रेल2022

बिलासपुर । अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के व्याख्यान माला प्रकोष्ठ के द्वारा माननीय कुलपति महोदय आचार्य दिवाकर नाथ वाजपेयी जी की अध्यक्षीय उपस्थिति में ‘‘भारतीय समाज की पुर्नस्थापना में डाॅ भीमराव अंबेडकर जी की प्रासंगिकता’’ विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. एस. आर. कमलेश, क्षेत्रीय अपर संचलक, बिलासपुर, उच्च शिक्षा विभाग (छ.ग.) एवं वक्ता डाॅ. हर्ष पाण्डेय, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर (छ.ग.) रहें। डाॅ. रश्मि गुप्ता ने कार्यक्रम की प्रस्तावना के साथ मंचस्थ मुख्यअतिथि एवं मुख्य वक्ता का परिचय प्रदान किया। शुभारंभ सत्र में मंचस्थ अतिथियों द्वारा माॅं सरस्वती एवं डाॅ. अंबेडकर की प्रतिमा में माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। यशवंत पटेल ने स्वागत भाषण में कार्यक्रम के अध्यक्ष, मुख्य अतिथि तथा मुख्य वक्ता का स्वागत एवं अभिनंदन किया इसके पश्चात् उन्होनें उपस्थित लोगों को अंबेडर जयंती हेतु अग्रिम बधाई एवं शुभकामनाए प्रेषित की। कार्यक्रम के अगले सत्र में मुख्य वक्ता डाॅ. हर्ष पांडे ने डाॅ. अंबेडकर की भारतीय समाज की पुर्नरचना में व्याख्या करते हुए उनका संक्षिप्त जीवन परिचय प्रस्तुत किया। उन्हे ने कहा की अंबेडकर ने अपने लेखन, समाज- सुधार में योगदान के साथ ही 62 देशों के संविधान का अध्ययन भी किया। उनके द्वारा 02 पत्रिकाओं का संपादन भी किया गया।जिनके शीर्षक क्रमशः बहिस्कृत भारत और मुक नायक थे। उन्होंने प्राचीन ग्रंथों का बड़ा ही सूक्ष्म और गहन अध्ययन किया है। वे 12 भाषा जानते थे। वे दलित चिंतक के साथ-साथ भारत में रूढ़िवाद और महिलाओं के अधिकारों के लिए भी खड़े हुए वे सभी को समाज की मुख्य धारा से जोड़ना चाहते थे। इसके अलावा डाॅ. अंबेडकर ने यह भी कहा है की ‘‘यदि मुझें लगा संविधान का दुरूपयोंग किया जा रहा है तो इसे जलाने वाला सबसे पहले मैं रहूंगा।’’ डाॅ. अंबेडकर के बारे में जितना कहा जाये वो कम है। इसके पश्चात् कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने अपने वक्तव्य में कहा की वे भारत के महान शक्ति थे, उनके क्रांतिकारी विचार भारतीय जनमानस को ज्यादा प्रभावित करते है। वे आर्थिक, समाजिक, लैंगिक और महिलों की विषमताओं के सुधारक थे। उन्होने एक समय भारतीय कृषि प्रणाली की आलोचना भी की। वे महिलाओं के सम्मान और आजादी के पक्षधार थे। डाॅ. अंबेडकर समानता, न्याय, सदभावना और नौतिकता के पक्षधर थे। उदबोधन के क्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य अरूण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने कहा की कठिन संघर्ष का युग था जब अंबेडकर जी रहें और अपना मार्ग प्रशस्थ किया। उन्होने दलित समाज को उठाने और मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य किया। साथ ही संघर्ष भावना की सीख दी। उन्होंने समाज को मुख्यधारा से जोड़ा मगर हिंसा के लिए प्रेरित नहीं किया। कार्यक्रम के अंतिम सत्र में माननीय कुलपति महोदय ने मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता कॉल एवं श्रीफल भेंट कर आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम के संयोजक धमेन्द्र कश्यप द्वारा अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष, मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्त के साथ सभी उपस्थित अधिकारी, शिक्षक, कर्मचारीयों के प्रति आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया और अध्यक्ष की अनुमति से कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed