बजट में सरकारी समितियों पर 15% टैक्स से सहकारी समितियों की आर्थिक स्थिति कमजोर होगी – बैजनाथ चंद्राकर

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बजट में सरकारी समितियों पर 15% टैक्स से सहकारी समितियों की आर्थिक स्थिति कमजोर होगी – बैजनाथ चंद्राकर

भुवन वर्मा बिलासपुर 1 फरवरी 2022

रायपुर । केन्द्रीय वित्तमंत्री श्रीमति निर्मला सीतारमन आज संसद में बजट पेष किये। इस बजट में सहकारी समितियों के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर कंपनियों के अनुरूप 15 प्रतिषत टैक्स अधिरोपित किया है। भारत सरकार द्वारा सहकारी समितियों पर इस तरह टैक्स वसूली से सहकारिता कमजोर होगा। ग्रामीण अंचलों में प्राथमिक कृषि साख समितियां किसानों के लिए वित्तदायी संस्था है। किसान अपनी खेतीगत आवष्यकताओं के लिए इन्हीं समितियों पर सीधे निर्भर रहता है। सहकारी समितियों एवं सहकारी बैंकों पर इस तरह 15 प्रतिषत का टैक्स अधिरोपित करना सीधे-सीधे किसानों के प्रति अन्याय है। इससे सहकारी समितियों के वित्तीय सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

  बजट में मध्यम वर्ग के लोगों के लिए टैक्स में राहत नही दिया गया है। इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नही किया गया। इससे करदाताओं में मायूसी है। यह बजट मीडिल क्लास के हित पर कुठाराधात है। बजट में गरीबों, युवाओं, महिलाओं तथा किसानों के लिए समग्र कल्याण की केवल बात कही गई है, इसमें कोई व्यवहारिता नही है। बजट में आधुनिक इंफ्रास्टेक्चर, प्रौधोगिकी समर्थित विकास और सार्वजनिक निवेष की बड़ी-बड़ी बातें बातें कहीं है। एैसा लगता है यह बजट औधोगिक घरानों की लाभप्रदता को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। बजट में नगरीय विकास को प्राथमिकता दिया गया है। एयर इंडिया का मालिकाना हक लिए प्रायवेट सेक्टर को चुन लिया गया है। बजट में कार्पोरेट टैक्स को 18 प्रतिषत से घटाकर 15 प्रतिषत किया गया है। इससे लगता है कि यह बजट औद्योगिक क्षेत्र के लाभदायक है। बजट में अगले 25 सालों की बुनियाद रखने की बात कही गई है। केन्द्र सरकार की मंषा प्रगतिषील नही है। आम आदमी, बेरोजगारों एवं अन्नदाता किसानों के लिए कोई ठोस प्रावधान बजट में नही किया गया है। बजट में कृषि एवं कृषिगत एलाईड एक्टिविटिस में अधिक बजट का प्रावधान किया जाना था। देष की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। किसानों को राहत देने की कोई कार्य योजना इस बजट में नही दिखता। इससे देष की अर्थव्यवस्था कमजोर होगी। लोगों के समावेषी विकास नही होगा। ऐसे बजट से गरीबों एवं खेतीहर किसानों की आर्थिक स्थिति और कमजोर होगा।

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