भारत लोकतंत्र की जननी है – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी : न्यूयार्क स्थित यूनाइटेड नेशन जनरल असेम्बली में यूएनजीए के 76 वें सत्र से कही

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भारत लोकतंत्र की जननी है – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी : न्यूयार्क स्थित यूनाइटेड नेशन जनरल असेम्बली में यूएनजीए के 76 वें सत्र से कही

भुवन वर्मा बिलासपुर 25 सितंबर 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

न्यूयॉर्क (अमेरिका) — जब भारत बढ़ता है तो दुनियां बढ़ती है , जब भारत सुधार करता है तो दुनियां बदल जाती है। लोकतंत्र की हमारी हजारों वर्षों की महान परंपरा रही है। हम उस देश का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसे मदर आफ डेमोक्रेसी का गौरव हासिल है।
उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न्यूयार्क स्थित यूनाइटेड नेशन जनरल असेम्बली में यूएनजीए के 76 वें सत्र को संबोधित करते हुये कही। लोकतंत्र पर बोलते हुये पीएम ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। लोकतंत्र की हमारी हजारों वर्षों की महान परंपरा रही है। इस 15 अगस्त को भारत ने अपनी आज़ादी के 75 वें साल में प्रवेश किया। हमारी विविधता , हमारे सशक्त लोकतंत्र की पहचान है। एक ऐसा देश जिसमें दर्जनों भाषायें हैं , सैकड़ों बोलियां हैं , अलग-अलग रहन सहन , खान-पान है ,ये सभी जीवंत लोकतंत्र का उदाहरण है। स्वतंत्रता के 75 वर्ष के अवसर पर भारत भारतीय छात्रों द्वारा बनाये गये 75 उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने जा रहा है।

बीते सात वर्षों में भारत में 43 करोड़ से ज्यादा लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा गया है। छत्तीस करोड़ से अधिक ऐसे लोगों को बीमा कवच मिला है जो पहले इस बारे में सोच भी नहीं सकते थे। पचास करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त इलाज का लाभ देकर उन्हें क्वालिटी हेल्थ से जोड़ा है। इस दौरान पीएम मोदी ने कोरोना वायरस से जान गंवाने वालेलोगो को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि दुनियां इस समय सबसे बड़ी महामारी से लड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि कोरोना महामारी ने दुनिया को सिखाया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को और विविधतापूर्ण बनाया जाये इसलिये वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं का विस्तार बहुत महत्वपूर्ण है। हमारा ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ इसी भावना से प्रेरित है। स्वतंत्रता के 75 वर्ष के अवसर पर भारत भारतीय छात्रों द्वारा बनाये गये 75 उपग्रहों को अंतरिक्ष में लॉन्च करने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएनजीए में कहा कि सेवा परमो धर्म: के तहत भारत वैक्सीनेशन में जुटा हुआ है। भारत ने दुनियां की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन का निर्माण कर लिया है , साथ ही फिर से वैक्सीन का एक्सपोर्ट भी शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जिक्र करते हुये कहा कि एकात्म मानवतावाद अंत्योदय को समर्पित है। भारत विकास के पथ पर कोई पीछे ना रह जाये अवधारणा के साथ आगे बढ़ रहा है। हमारी प्राथमिकता है कि विकास सर्वसमावेशी , सर्वस्पर्शी और सर्वव्यापी हो। प्रधानमंत्री मोदी ने आंतकवाद को लेकर पाकिस्तान पर निशाना साधते हुये कहा कि प्रतिगामी सोच के साथ जो देश आतंकवाद का राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं , उन्हें ये समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिये भी उतना ही बड़ा खतरा है। आज विश्व के सामने प्रतिगामी सोच और चरमपंथ का खतरा बढ़ता जा रहा है। इन परिस्थितियों में पूरे विश्व को विज्ञान आधारित, तर्कसंगत और प्रगतिशील सोच को विकास का आधार बनाना ही होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने यूएनजीए में अपने संबोधन का अंत गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कविता के साथ किया। उन्होंने कहा कि अंत में मैं नोबल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के शब्दों के साथ अपनी बात को समाप्त कर रहा हूं। अपने शुभ कर्म पथ पर निर्भीक होकर आगे बढ़ो। सभी दुर्बलता और आशंकाएं समाप्त होंगी। ये संदेश आज के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के लिये जितना प्रासंगिक है , उतना ही हर जिम्मेदार देश के लिये प्रासंगिक है। मुझे विश्वास है कि हम सबका प्रयास विश्व में शांति और सौहार्द बढ़ाएगा। विश्व को स्वस्थ , सुरक्षित और समृद्ध बनायेगा।

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