वैदिक सिद्धान्त के अनुसार जल में मिट्टी का परिवर्तन सम्भव — पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद

1578
IMG-20210728-WA0019

वैदिक सिद्धान्त के अनुसार जल में मिट्टी का परिवर्तन सम्भव — पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद

भुवन वर्मा बिलासपुर 28 जुलाई 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

जगन्नाथपुरी – ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज वैज्ञानिक संस्थानों एवं वैज्ञानिकों की संगोष्ठियों में पूर्व में उद्घृत कर चुके हैं कि वेदसम्मत विज्ञान आज भी प्रासंगिक है । वैज्ञानिकों के लिये आवश्यक है कि वे वेद में सन्निहित गूढ़रहस्यों को समझकर वर्तमान परिपेक्ष्य में परिभाषित कर मानव व प्रकृति कल्याण में उसका सदुपयोग करे । उदाहरणस्वरूप वेदविज्ञान के अनुसार पंचभूतों में समाविष्ट विभिन्न गुणों के कर्षण एवं समावेश से इनका एक दूसरे में परिवर्तन संभव है। अपने नवीनतम संदेश में वैज्ञानिकों के लिये पुरी शंकराचार्य जी संकेत करते हैं कि यह दार्शनिक तथ्य है कि कार्य में उपादान कारण और उसके गुण की अनुगत होती है। गुण पर्यन्त गुणी द्रव्य (वस्तु) की विद्यमानता सिद्ध है। अतः गुण का कर्षण कर लेने पर कार्य की कारणभावापत्ति सुनिश्चित है। इस दृष्टि से पृथिवी में जहाँ निज गुण गन्ध सन्निहित है ; वहाँ जल का गुण रस , अग्नि का गुण रूप , वायु का गुण स्पर्श और आकाश का गुण शब्द भी सन्निहित है , गन्धविहीन भूमि जल है। वैज्ञानिक प्रथम चरण में दस किलो मिट्टी को सम्मुख रखकर यान्त्रिक विधा से उसके गंध का अपहरण कर उसे जल का रूप प्रदान कर हमें सूचित कर प्रमुदित करें।

About The Author

1,578 thoughts on “वैदिक सिद्धान्त के अनुसार जल में मिट्टी का परिवर्तन सम्भव — पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed