छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान की” महत्वपूर्ण संकल्प के साथ हम ”नवा छत्तीसगढ़” गढ़ रहे हैं : विकास हमारी सरकार की प्राथमिकता – मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

0
IMG-20200922-WA0046

छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान की” महत्वपूर्ण संकल्प के साथ हम ”नवा छत्तीसगढ़” गढ़ रहे हैं : विकास हमारी सरकार की प्राथमिकता – मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

भुवन वर्मा बिलासपुर 11 जुलाई 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

रायपुर — छत्तीसगढ़ के हर क्षेत्र में भरपूर विकास हमारी सरकार की प्राथमिकता में है। यही वजह है कि प्रदेश में ढाई वर्ष में विकास का एक नया स्वरूप नजर आ रहा है। यहां हर छत्तीसगढ़िया के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने का कार्य हो रहा है। इस तरह से ”ये बात है अभिमान की , छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान की” के महत्वपूर्ण संकल्प के साथ हम ”नवा छत्तीसगढ़” गढ़ रहे हैं। सीमेंट-कांक्रीट की चमक हमारे लिये कोई मायने नहीं रखती , हमारे लिये तो छत्तीसगढ़िया भाई-बहनों की आंखों की चमक और चेहरे की मुस्कुराहट महत्वपूर्ण है।
उक्त बातें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आकाशवाणी से प्रत्येक माह प्रसारित होने वाली लोकवाणी की 19 वीं कड़ी में ”विकास का नया दौर” विषय पर प्रदेशवासियों से बात-चीत करते हुये कही। प्रदेशवासियों से चर्चा करते हुये उन्होंने आगे कहा कि नरवा-गरवा-घुरवा-बारी को छत्तीसगढ़ के सर्वांगीण विकास से , ग्रामीण अर्थव्यवस्था और अस्मिता से जोड़ना निश्चित तौर पर यह हमारी प्राथमिकता है। हम छत्तीसगढ़ के बुनियादी विकास की बात करते हैं और उसी दिशा में सारे प्रयास किये गये हैं , जिसके कारण आर्थिक मंदी और कोरोना जैसे महासंकट के दौर में भी, छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था अपनी पटरी पर बनी रही। जब देश और दुनियां के बाजारों में सन्नाटा था तब छत्तीसगढ़ में ऑटो-मोबाइल से लेकर सराफा बाजार तक में उत्साह था। हमारे कल-कारखाने भी चलते रहे और गौठान भी। हमारा रास्ता थोड़ा लंबा जरूर है लेकिन यह स्थायी विकास का रास्ता है , जिसे समय के थपेड़े बाधित नहीं कर सकते। हमारे फैसले छत्तीसगढ़ को ना सिर्फ तात्कालिक राहत देते हैं बल्कि दूरगामी महत्व के साथ चौतरफा विकास के रास्ते खोलते हैं। सीएम बघेल ने कहा कि आदिवासियों से जुड़ी हुई बात , कोई भी विषय , कोई भी समस्या को हम छोटा नहीं मानते और आदिवासी अंचलों में आम जनता की सहूलियत के नये-नये उपाय करने के लिये प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं। पिछले ढाई सालों में ऐसे अनेक छोटे-बड़े नवाचार हुये हैं जिसका लाभ मिल रहा है। डेनेक्स कपड़ा फैक्ट्री से लेकर वनोपज संग्रह में महिला स्व-सहायता की भूमिका , देवगुड़ी के विकास से लेकर स्थानीय उपजों के वेल्यूएडिशन तक बहुत से काम किये गये हैं।मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि मैंने डीएमएफ के उपयोग के लिये नई गाइड लाइन बनवाई थी जिसके कारण बस्तर में कुपोषण मुक्ति से लेकर मलेरिया उन्मूलन तक सफलता का नया कीर्तिमान रचा गया है। मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना 11 लाख मरीजों तक पहुंचती है तो मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना और दाई-दीदी मोबाइल क्लीनिक जैसी पहल का लाभ पांच लाख लोगों को मिलता है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य प्रदेश के ग्रामीण अंचल , वनांचल , बसाहटों , कस्बों और शहरों में रहने वाले लोगों का जीवन आसान बनाना है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आगामी दो वर्षों में हम 16 हजार करोड़ की लागत से हजारों सड़कें और पुल-पुलिया बना रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि सड़कों का नेटवर्क पूरा हो। ऐसा ना हो कि सड़क तो हैं लेकिन पहुंचविहीन है – पुल-पुलिया नहीं। इसलिये हमारी परियोजनाओं में समग्रता का भाव है। हमने विभिन्न योजनाओं की सड़कों को तत्परता से बनाते हुये अनेक कीर्तिमान भी बनाये हैं। प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण पर जोर देते हुये मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि ढाई साल पहले सरकार में आते ही हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिस तरह के सुधार किये और व्यवस्थाओं को चौक-चौबंद किया , उसका बहुत लाभ कोरोना से निपटने में भी मिला है। वर्ष 2018 के अंत में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ एक हजार 378 डॉक्टर काम कर रहे थे, हमने उसे बढ़ाकर 03 हजार 358 कर दिया। इसी प्रकार मेडिकल स्टाफ की संख्या भी 18 हजार से बढ़ाकर लगभग 22 हजार कर दी गई है। कोरोना से लड़ने के लिये विशेष सुविधाओं की जरूरत पड़ी तो वेंटिलेटर , आईसीयू बेड्स , एचडीयू बेड्स , ऑक्सीजनयुक्त बेड , ऑक्सीजन कान्सेंटेटर , हर तरह के ऑक्सीजन सिलेंडर , पीएसए ऑक्सीजन प्लांट , लिक्विड ऑक्सीजन टैंक , मल्टीमॉनिटर्स जैसे आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता को भी कई गुना बढ़ाया गया है। हम कांकेर , कोरबा तथा महासमुंद में नये मेडिकल कॉलेज भी खोल रहे हैं , जिससे प्रदेश में डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी और जनता को इसका लाभ भी मिलेगा। पिछले दो बजट में हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे अधिक बढ़ोतरी करते हुये 880 करोड़ रूपये का बजट दिया। सीएम ने कहा कि हमारे घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिये लागू बिजली बिल हाफ योजना के तहत प्रदेश के 39 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को विगत 27 महीने में एक हजार 822 करोड़ रूपये का लाभ दे चुके हैं। इस योजना के तहत प्रत्येक घरेलू उपभोक्ता को बिना जाति-धर्म या आय के बंधन के प्रतिमाह 400 यूनिट बिजली निःशुल्क दी जा रही है। इसके अलावा पांच हार्स पावर तक के सिंचाई पंप का उपयोग करने वाले लगभग छह लाख किसानों को भी निःशुल्क बिजली दी जा रही है। बीपीएल श्रेणी के 18 लाख परिवारों को 30 यूनिट बिजली प्रतिमाह निःशुल्क दी जा रही है। इसी तरह बिजली की वितरण व्यवस्था में सुधार के लिये 1281 करोड़ रूपये के लागत के कार्य किये जा चुके हैं तथा 211 करोड़ रू. के कार्य किये जा रहे हैं। राज्य में 1400 करोड़ रूपये से अधिक की लागत से 33 केवी उपकेन्द्रों की स्थापना , ट्रांसफार्मर एवं लाइन विस्तार जैसे अनेक कार्य किये गये हैं। इस तरह से हमने बिजली को जनता की ताकत बनाने में सरकार की ताकत लगाई है। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि प्रदेश के औद्योगिक विकास का लाभ प्रदेश की जनता को दिलाने के लिये नई औद्योगिक नीति बनायी गई है, जिसके कारण प्रदेश में 47 हजार करोड़ रुपये का पूंजी निवेश होगा और 67 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। अप्रत्यक्ष रूप से इसमें लाखों लोगों को लाभ मिलेगा। हमने हर विकासखंड में फूडपार्क स्थापित करने की दिशा में कार्यवाही शुरू की है। सुकमा में फूडपार्क की स्थापना हेतु अधोसंरचना विकास का कार्य शुरू कर दिया गया है। दुर्ग जिले में 78 करोड़ रुपये लागत के वनोपज प्रसंस्करण के लिये वृहद इकाई स्थापित करने की दिशा में भी काम शुरू हो गया है। ऐसी ही दर्जन भर अन्य इकाइयां, विभिन्न स्थानों पर लगाने के लिये निजी संस्थाओं से करार किये गये हैं। सीएम ने बताया कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत हर साल लगभग 5700 करोड़ रू. का भुगतान किया जा रहा है। ‘गोधन न्याय योजना’ से होने वाला भुगतान भी 125 करोड़ रू. से अधिक हो चुका है। इस तरह हमने प्राकृतिक संसाधनों को लोगों की आय का जरिया बनाने का बड़ा कदम उठाया है और हमारी नजर में यही सार्थक विकास है। उन्होंने कहा कि 17 दिसम्बर 2018 के पहले 18 हजार करोड़ रूपये से अधिक लागत की 543 सिंचाई परियोजनायें अधूरी छोड़ दी गई थीं। हमने मात्र दो साल में इनमें से 138 परियोजनायें पूर्ण कर दी हैं तथा 405 का काम प्रगति पर है। इतना ही नहीं 17 दिसम्बर 2018 के बाद हमने 429 नई परियोजनायें स्वीकृत की हैं। जिनकी लागत एक हजार 657 करोड़ रुपये है। इस तरह मात्र ढाई साल में नई-पुरानी मिलाकर 150 सिंचाई परियोजनायें हमने पूर्ण की हैं और 822 योजनाओं का काम शुरू करा दिया है, जिसे निर्धारित समय में पूरा कराने का लक्ष्य है। जहां तक पेयजल का सवाल है तो हमने ‘जल-जीवन मिशन’ के माध्यम से एक बड़ा अभियान छेड़ दिया है , जिसके तहत वर्ष 2023 तक प्रदेश के सभी 39 लाख ग्रामीण घरों में नल से शुद्ध जल पहुंचाया जायेगा। पहले प्रति व्यक्ति , प्रतिदिन 40 लीटर शुद्ध पेयजल प्रदाय का लक्ष्य था , जिसे अब बढ़ाकर 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कर दिया गया है। इस योजना के लिये चालू वर्ष में 850 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया है। हमारा मानना है कि जब हर घर में नल के माध्यम से शुद्ध पानी पहुंचने लगेगा तो उससे सबसे अधिक राहत हमारी माताओं , बहनों को मिलेगी। अपने घर पर लगे नल से , साफ पानी मिलना शुरू हो जाये तो यह विकास का सही मापदण्ड है। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हमने सरकार में आते ही सबसे पहले शिक्षकों को सम्मान दिलाने का अभियान शुरू किया। क्योंकि जिस समाज में शिक्षक-शिक्षिकाओं का सम्मान होता है। उसी समाज में नये ज्ञान के अंकुर फूटते हैं, सबसे पहले तो अपना वादा निभाया और 26 हजार शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया जिससे उन्हें नियमित वेतनमान , पदोन्नति , स्थानांतरण जैसी तमाम सुविधायें मिलने लगीं। अभी तक प्रदेश में दो हजार 800 व्याख्याताओं की भर्ती का काम पूरा हो चुका है , उन्होंने ज्वाइन भी कर लिया है। दस हजार से अधिक पदों पर शिक्षकों तथा सहायक शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया पूरी हो गई है। अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के बच्चों को छात्रवृत्ति तथा भोजन सहाय राशि में वृद्धि की गई। देश में पहली बार शिक्षा के अधिकार के तहत 12वीं तक निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गई है। ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाली बेटियों की निःशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। प्रदेश में स्कूल से ही शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिये स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना शुरू की गई है, जिसके तहत 171 शालाओं में बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है। कोरोना से जिन बच्चों के पालकों का निधन हुआ है, उन बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने के लिए हमने ‘महतारी दुलार योजना’ शुरू की है, जिसके तहत सरकारी तथा निजी स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलाकर उनकी निःशुल्क शिक्षा , पात्रता अनुसार छात्रवृत्ति तथा निःशुल्क कोचिंग आदि की व्यवस्था की जा रही है। विभिन्न वर्गों और शैक्षणिक स्तर के लोगों के रोजगार के व्यापक प्रबंध किये जाने के कारण प्रदेश में बेरोजगारी दर ढाई वर्षों में 22 प्रतिशत से घटकर तीन प्रतिशत पर आ गई है, जो राज्य के विकास के विभिन्न प्रयासों की सार्थकता का प्रतीक है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *