अंततःबाहुबली मुख्तार अंसारी बांदा जेल शिफ्ट

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अंततः बाहुबली मुख्तार अंसारी बांदा जेल शिफ्ट

भुवन वर्मा बिलासपुर 7 अप्रैल 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

बांदा — आखिरकार करीब 14 घंटे के सफर के बाद 900 किलोमीटर का सफर तय करके भारी सुरक्षा इंतजाम के बीच बुलेट प्रूफ जैकेट पहने बाहुबली मुख्तार अंसारी का काफिला बांदा जेल पहुंच गया। उनके सुरक्षित बांदा जेल पहुंचने पर पुलिस ने राहत की सांस ली है। मुख्तार के यूपी आने से अब उसके खिलाफ दर्जन भर से ज्यादा मामलों की सुनवाई में तेजी आयेगी। रोपड़ जेल में कई मुकदमों का ट्रायल भी शुरू नहीं हो सका था।पंजाब में जहां मुख्तार व्हील चेयर से एंबुलेंस में सवार हुआ था, वहीं बांदा जेल में वह अपने पैरों पर खड़ा होकर अंदर गया। डॉक्टर्स के पैनल की जांच में वह पूरी तरह फिट पाया गया। हालांकि वह घबराया हुआ था। उनको लाने वाली पुलिस की स्पेशल टीम तथा जेल अधिकारियों की उपस्थिति में सुरक्षाकर्मियों द्वारा  सभी सामानों की जांच की गई। सामानों के साथ-साथ खुद मुख्तार अंसारी को भी अत्याधुनिक  डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर , पोल मेटल डिटेक्टर , हैंड हेल्ड मेटल डिटेकटर आदि उपकरणों के द्वारा तलाशी की गई जिसमें कोई भी अवैध सामग्री प्राप्त नहीं हुई।

सीसीटीवी कैमरे से होगी निगरानी 

मुख्तार अंसारी की सीसीटीवी निगरानी के साथ जेल मैनुअल का ध्यान रखा जा रहा है। अंसारी को सुरक्षा के कारण अन्य कैदियों से अलग बैरक नंबर 16 में रखा गया है , उसके लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है , उसे एक आम कैदी के रूप में रखा गया है। जेल पहुंचने पर मुख्तार अंसारी की सारी कागजी कार्यवाही पूरी की गई। इसके बाद चार डॉक्टरों की टीम ने मुख्तार अंसारी का मेडिकल चेकअप किया। पहले तो मुख्तार को सामान्य बैरक में रखा गया था, लेकिन बाद में उसे जेल के अंदर बैरक नंबर 15 में शिफ्ट किया गया। फिर अचनाक ही सरप्राइज देते हुये उसे बैरक नंबर-16 में शिफ्ट कर दिया गया है। इन्हें तन्हाई जेल भी कहा जाता है यानि इस बैरक में कोई और कैदी नही होगा। फिलहाल कोरोना वायरस की वजह से मुख्तार के परिजनों को उनसे मिलने नही दिया जायेगा। बांदा जेल में क्षमता 558 कैदियों की है, लेकिन यहां 780 कैदी हैं। 1860 में ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी ये जेल ओवरलोडेड है। ऐसे में सिक्योरिटी पर असर पड़ता है।
यहां पहुंचते ही मुख्तार अंसारी का कोरोना टेस्ट करने के बाद बैरक में आइसोलेशन में रखा गया है और किसी से मिलने की इजाजत नहीं है। पूरे बैरक को सीसीटीवी के जरिये मॉनिटर किया जा रहा है। उन्हें किसी भी तरह का व्हीआईपी ट्रीटमेंट नही दिया जायेगा। बांदा जिला जेल की निगरानी पहली बार ड्रोन कैमरे से होगी। जेल के अंदर आने वाले हर व्यक्ति पर नजर रखी जायेगी। जेल में मुख्तार के करीब वही जेलकर्मी जा सकेंगे जो बाडी वार्न कैमरा पहने होंगे। जेल में मुख्तार की सुरक्षा के साथ ही स्वास्थ्य का ध्यान रखने का भी पूरा इंतजाम किया गया है। पिछले कुछ समय से मुख्तार अंसारी एक मामले में पंजाब की रोपड़ जेल में बंद था. मुख्तार अंसारी को लाने के लिए यूपी सरकार और पंजाब सरकार के बीच सुप्रीम कोर्ट तक मामला चला. पिछले महीने 26 मार्च को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुये मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश भेजने का आदेश दिया था। गैंगस्टर मुख्तार के खिलाफ 53 गंभीर मामले दर्ज हैं। उसके बांदा जेल में शिफ्ट होने पर जेल के बाहर भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये हैं। यहां 30 जवान तैनात किये गये हैं। मुख्तार बीजेपी को छोड़कर उत्तर प्रदेश की हर बड़ी पार्टी में शामिल रहा मुख्तार अंसारी पिछले 24 साल से लगातार उत्तरप्रदेश की विधानसभा पहुंच रहा है. उस पर हत्या से लेकर उगाही तक के संगीन इल्जाम है। इनमें बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का मामला भी था, जिसमें वो बरी हो गया था. इस मामले की जांच सीबीआई ने भी की थी।

खानदानी विरासत है राजनीति

मुख्तार अंसारी के दादा आजादी से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे। दादा का नाम भी मुख्तार ही था, जबकि उसके नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान महावीर चक्र विजेता थे। वहीं, उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी मुख्तार के चाचा हैं। जबकि बड़े भाई अफजाल अंसारी ने 2019 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को गाजीपुर से हराया था। मुख्तार भी पांचवीं बार विधायक है। वर्ष 1996 में मुख्तार ने मऊ विधानसभा से बसपा के टिकट पर पहला चुनाव जीता था। इसके बाद वर्ष 2002 , 2007 , 2012 और 2017 का चुनाव जीता। वर्ष 2009 में मुख्तार ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन तब हार गया। वर्ष 2010 में बसपा ने मुख्तार को पार्टी से बाहर कर दिया था। इसके बाद उसने अपने भाई अफजाल अंसारी के साथ मिलकर कौमी एकता दल बनाया था, लेकिन 2017 के चुनाव में इस दल को बसपा में मर्ज कर दिया था।

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