महिलाओं ने सोच बदलकर दिखाया जज्बा जीवन में खुशियों ने दी दस्तक
महिलाओं ने सोच बदलकर दिखाया जज्बा जीवन में खुशियों ने दी दस्तक
भुवन वर्मा बिलासपुर 28 दिसंबर 2020
“प्रीति तिवारी की कलम से”
“खुशबू बनकर गुलों से उड़ा करते हैं, धुआं बनकर पर्वतों से उड़ा करते हैं, हमें क्या रोकें ये जमाने वाले, हम परों से नहीं हौसलों से उड़ा करते हैं।” मुख्यमंत्री शहरी कार्यात्मक साक्षरता कार्यक्रम योजना से जुड़कर आज जिले की ग्रामीण महिलाओं ने स्वावलंबन की मिसाल पेश की है। घरेलू काम में व्यस्त रहने वाली महिलाएं अपने घरों के चार दीवारी से निकलकर संस्था में महिलाओं को डिजिटल साक्षरता, व्यक्तित्व विकास, श्रेष्ठ पालकत्व, आत्मरक्षा, वित्तीय साक्षरता, विधिक साक्षरता, चुनावी साक्षरता, कौशल विकास, जीवन मूल्य, नागरिक कर्तव्य जैसे विषयों को आत्मसात् कराया जाता था। एक नई पहल के तहत् हमने गांव से आने वाली महिलाएं जो स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत अंबिकापुर शहर में डोर टू डोर जाकर कचरे को कलेक्ट करती हैं और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सेंटर का संचालन कर रही हैं। उनको अपने संस्था से जुड़ने का प्रयास किया, जिसमें उन महिलाओं ने भी अपनी उत्सुकता दिखाई और उनमें सिखने एवं जानने की एक ललक दिखाई दे रही थी। जिसमें वे अपने कार्य के बीच अपना समय निकल कर हमारे केन्द्र आना शुरु कर दी। ये किसी ने सोचा भी नहीं होगा, ई-साक्षरता केंद्र अंबिकापुर से जुड़कर महिलाएं नित्य नई सफलता की कहानी लिख रही हैं और ये महिलाए अपने सपनों को पंख देने लगी हैं। शुरुआती समय में ये गरीब महिलाएं समूह बनाकर कंप्यूटर से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियों को सीखने हेतु सेंटर में आई। इसके साथ-साथ महिलाओं को रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी हुई मोबाइल से बिजली का बिल पेमेंट करना, ऑनलाइन शॉपिंग करना आदि डिजिटल साक्षरता में पारंगत किया गया।
शुरु आती दौर पर कुछ महिलाए ऐसी थी जो खुलकर अपनी बातो को नही रखती थी। हमने सबसे पहले उनके मनोबल को बढाया, उनके व्यक्तित्व विकास करने का प्रयास किया। जिसमें हम सफल भी हुए, क्योकि किसी भी कार्य को करने एवं सीखने के लिए आत्मविश्वास का होना आवश्यक है। हमारा सबसे पहला प्रयास यही था कि हम महिलाओं को आत्मविश्वास के साथ आत्मनिर्भर बनाये, और उन्हें सही चींज की जानकारियां हो, जिससे वे सही और गलत को समझ सके और सही फैसला ले सके।
कठोर परिश्रम या कड़ी मेहनत मनुष्य का असली धन होता है। बिना कठिन परिश्रम के सफलता पाना असंभव है। जो व्यक्ति कठिन परिश्रम करता है, सफलता उसी के कदम चूमती है। कड़ी मेहनत करने वाले लोग मिट्टी को भी सोना बना देते हैं। हमको अपनी विद्यार्थी जीवन के समय को उदाहरण रूप में लेना चाहिए जैसे हम अगर पढ़ाई मेहनत से करते हैं तो हमारा परीक्षा फल भी अच्छा होता और अगर हम पढ़ाई मैं आलस करते तो परीक्षा फल बहुत बुरा होता है।
स्वच्छ भारत मिशन में कार्य करने वाली एक महिला की कहानी है
कहते हैं ना कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं, ऐसी ही कहानी श्रीमती इंदर कुमार आयाम की है जो भारत सरकार द्वारा चलाए गए स्वच्छ भारत मिशन में डोर टू डोर कचरा कलेक्ट करती है तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सेंटर का संचालन कर रही हैं। जिसके परिवार में कोई भी पढ़ा-लिखा नहीं था ना ही माता-पिता और ना ही दोनों बहनें, घर की स्थिति काफी ज्यादा नाजुक थी। माता-पिता और बहनों की परवरिश ठीक ढंग से करने के लिए उसने डोर टू डोर कचरा कलेक्ट करने का काम शुरू किया। घर और परिवार के बाद अपने लिए उसने समय निकाला और 2 घंटे मुख्यमंत्री शहरी कार्यात्मक साक्षरता कार्यक्रम अंबिकापुर में कंप्यूटर प्रशिक्षण शुरू किया। यहां उसने डिजिटल साक्षरता, आत्मरक्षा, वित्तीय साक्षरता, कौशल विकास और नागरिक कर्तव्य जैसे बहुमूल्य विषयों को समझा। साथ-साथ कंप्यूटर में माउस का प्रयोग एवं ड्राइंग करना, रंग भरना, हिंदी टाइपिंग करना, फोटोशॉप का प्रयोग, दस्तावेजों के लिए फाइल और फोल्डर बनाना एवं ऑनलाइन बुकिंग करना सीखा। आज वह अपने रोजमर्रा के कार्य जैसे ऑनलाइन फार्म भरना हो या फिर ऑनलाईन बिजली बिल भुगतान करना हो ऐसे सारे काम वे सफलतापूर्वक कर पा रही हैं।
शक्ति को आकार देकर हो रहीं सशक्त महिलाओं ने अपने पैरों में खड़े होने की ललक उनकी सफलता की कहानी गढ़ रही है। खास बात यह है कि महिलाएं स्वयं तो स्वालंबन की मिसाल पेश कर रहीं हैं साथ ही अन्य महिलाओं को भी इससे जुडऩे के लिए प्रेरित कर रही हैं।
हमारे द्वारा किए गए प्रयास से अगर सीखाकर सफल हो रहे है तो हमारे लिए यह बहुत ही हर्ष की बात है। यह हमारे लिए एक उपलब्धि है। “प्रीति तिवारी जिला सरगुजा छ.ग.”