वन प्रबंधन पर वनवासियों की भूमिका – चौहान
वन प्रबंधन पर वनवासियों की भूमिका – चौहान
भुवन वर्मा बिलासपुर 22दिसंबर 2020
दिनांक 20.12.20 को जय सेवा संगठन व नांगा बैगा जन संगठन के सयुक्त तत्वाधान में विकासखंड कोटा के वनाचल क्षेत्र ग्राम शिवतराई के तीरंदाजी प्रांगन में सामुदायिक वनाधिकार पेसा कानून समुदायों के अधिकार एवं आजीविका पर जिला स्तरीय जन संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया | उक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माय अरुण सिंह चौहान अध्यक्ष जिला पंचायत बिलासपुर,अध्यक्षता विजय केशरवानी अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण जिला बिलासपुर , विशिष्ट अतिथि आदित्य दीक्षित अध्यक्ष ब्लांक कांग्रेस कमेटी कोटा , संत कुमार नेताम अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद् प्रदेश अध्यक्ष , सत्येन्द्र कौशिक सांसद प्रतिनिधि श्री मती छाया वर्मा सांसद (राज्य सभा ) इतवार सिंह मछिया प्रदेश अध्यक्ष बैगा जनजाति ,जयदीप राबिन्सन सामाजिक कार्यकर्त्ता , अनिल बामने जी जन स्वास्थ्य गनियारी ,श्री मती शांति देवी जी जनपद सदस्य ,श्री मती कान्ति देवी जी जनपद सदस्य ,श्री मती गंगा मरावी सरपंच ग्राम पंचायत शिवतराई ,
मुख्य अतिथि की आसंदी में श्री अरुण सिंह चौहान ने अपने उदबोधन में कहा कि समुदायिक वनाधिकार पत्र प्राप्त होने पर ही हम वन संसाधनो का उपयोग व संरक्षण कर सकते हैं वनो से मिलने वाले वनोपज जैसे चार तेंदू हर्रा बहेरा आँवला महुआ आदि उत्पादो को संरक्षित करके अपने आय में बृद्धि किया जा सकता है किंतु वर्तमान मे वन उत्पादो की घटती मात्रा तथा वन संसाधनो का अनावश्यक दोहन एक बहुत बड़ा चिंता का विषय बना हुआ है, जो कि समस्त जीव जगत के अस्तित्व के लिए खतरा है , इन समस्याओं से बचने के लिए व अपने वन क्षेत्रो में बृद्धि करने हमे समुदायिक वन प्रबंधन कार्य करना आवश्यक है इसके लिए ग्राम स्तरीय वन प्रबंधन समिति का गठन करना होगा जिसमें समान रूप से ग्राम के महिला एवं पुरुषो की भागीदारी सुनिश्चित होना जरूरी है जिससे वन संपदा को शुरक्षा मिल सके इसके अलावा पेड़ो की हो रही अंधाधुंध कटाई को रोकने आग से वनो की रक्षा पशुओं की चराई आदि को रोकना समुदायिक वन प्रबंधन समिति के माध्यम से ही संभव है, इसलिये वन प्रबंधन कार्य को अधिक से अधिक मजबूत बनाने में महिला समूहो की भूमिका अनिवार्य है ,अतः आज हम सभी इस समुदायिक वनाधिकार व पेसा पर हो रहे जिला स्तरीय जनसंवाद कार्यशाला पर संकल्प लें कि हम अपने एकता व संगठन को शसक्त बनाते हुए विलुप्त के कगार पर खड़े वनोपजो को पुनः स्थापित कर वनो की संख्या में बृद्धि करने निरंतर प्रयासरत रहेंगे |
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विजय केशरवानी ने 35 ग्रामों से आये 400 लोगो को संबोधित करते हुए कहा कि गोधन न्याय योजना के अंतर्गत जिले के गौठानों में ग्राम शिवतराई के स्वसहायता समूह की महिलायें गौठानों मे जैविक खाद बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं है। वर्तमान में समूह की महिलाओें द्वारा 72 हजार रु. जैविक खाद के लिए बेचकर आय का अतिरिक्त साधन जुटा पाने में संक्षम हुए है , गौठानों में बनाये गये वर्मी कम्पोस्ट टैंक मनरेगा के तहत बनाया गया है। वर्मी टैंक बनाने में बिहान समूह की महिलाओं का योगदान रहा है,इससे महिलाओं को आर्थिक स्वावलंबन की राह भी दिख रही है। महिलायें आजीविका संवर्धन से जुड़कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहीं हैं। महिलायें स्वरोजगार की दिशा मे आगे बढ़ते हुये ग्राम विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहीं हैं।उन्होंने महिलाओ को स्वसहायता समूहों से जुड़कर पंजीकरण कर शासन की विभिन्न प्रकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए जागरूक किया गया ।
विशिष्ट अतिथि आदित्य दीक्षित ने ब्याक्तिगत वनाधिकार पर फोकस करते हुए कहा की वनाधिकार कानून 2006 के अनुसार 13 दिसंबर, 2005 से पूर्व वन भूमि पर काबिज अनुसूचित जनजाति के सभी समुदायों को वनों में रहने और आजीविका का अधिकार मिला है पर दूसरी ओर कानून की धारा 2 (ण) के अनुसार अन्य परम्परागत वन निवासी को अधिकार के लिए (उक्त अवधि से पहले वन क्षेत्र में काबिज रहे हो) तीन पीढ़ियों (एक पीढ़ी के लिए 25 साल) से वहां रहने का साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद होगा।
ब्यक्तिगत वनाधिकार इनमे वन भूमि में कृषि प्रयोजननों हेतु उपयोग की गयी जमीन मवेसी रखने, खलिहान,फसल कटाई के बाद के काम,उपज के भंडारण आदि उपयोग की गई जमीन शामिल हो ,वनाधिकार पत्र के लिए आवेदन वनाधिकार समिति से भरे हुए प्रपत्र को प्राप्त कर उसकी पावती लेना अनिवार्य रहे,बाद में किसी भी प्रकार से आपत्ति होने पर रखे हुए पावती के आधार में प्रस्तुत किया जा सके।
विशिष्टअतिथिसंत कुमार नेताम ने पेसा पर संबोधित करते हुए कहा की पेसा कानून समुदाय की प्रथागत धार्मिक एवं परमपरागत रीतियों में संरक्षण पर असाधारण जोर देता है , पेसा अधिनियम-1996 संविधान के भाग 9 जो कि पंचायतों से सम्बंधित है अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार करता है। पेसा कानून के माध्यम से पंचायत प्रणाली को अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार किया गया है।पेसा ग्रामसभा की शक्तियां और आदिवासियों के अधिकार पेसा की धारा 4(ड) यह व्यवस्था करती है कि अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि कब्जा तथा अ.ज.जा के व्यक्ति की गलत तरीके से कब्जा की गई भूमि को वापस दिलाने का अधिकार पेसा ग्रामसभा को है। इस प्रावधान में भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 170 ख में संशोधन कर नई उपधारा 2-क जोड़ी गई है।पेसा की धारा 4 (झ) के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की भूमि अर्जन चाहे वह विकास परियोजना के लिए हो या किसी भी प्रकार की निर्माण भूमि पुनर्वास की विस्तृत जानकारी पेसा ग्रामसभा को अवगत कराया जाना अनिवार्य है।लघु वनोपज की संग्रहन, मूल्य निर्धारण व विक्रय की शक्ति । पेसा अधिनियम की धारा 4 (ड)(पप) में यह प्रावधान है कि पेसा ग्रामसभा को गौण वनोपज (लकड़ी को छोड़कर सभी वनोउत्पाद) की संग्रहन,मूल्य निर्धारण व विक्रय(नीलामी) करने की शक्ति प्राप्त है। वन अधिकार अधिनियम 2006 की धारा 5 के तहत गांव की वनों को सुरक्षा संवर्धन नियंत्रण की सामुदायिक दावा की शक्ति।पेसा एक्ट की धारा 4 (क) (ख) के अनुसार परम्परागत कानूनों सामाजिक, धार्मिक रूढ़ियों, प्रथाओं और सामुदायिक संसाधनों का परम्परागत प्रबंधन तकनीकों का आदिवासी जीवन में केंद्रीय भूमिका की पहचान करना और उन्हें अनुसूचित क्षेत्रों में स्वशासन की मूलभूत सिद्धान्त बनाये रखना। संवर्धन संरक्षण में पेसा ग्रामसभा को एकाधिकार है ।
विशिष्ट अतिथि सत्येन्द्र कौशिक ने अपने उजस्वी उद्बोधन में कहा कि वन अधिकार की मान्यता अधिनियम 2006 व नियम 2007 संशोधित नियम 2012 के तहत सामुदायिक वनाधिकार है,जिसके तहत धारा 5 को परिभाषित करते हुए नियम (क )(ख) (ग)( घ) पर विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए इस कानून के तहत 4 प्रकार के अधिकारों को बताया गया जिसमें ब्यक्तिगत वनाधिकार, सामुदायिक वनाधिकार, सामुदायिक वन संसाधन अधिकार व विकास के लिए अधिकार प्राप्त किया जा सकता है , सामुदायिक दावा प्रारम्भ करने के लिए ग्राम पंचायत द्वारा प्रत्येक मजरा,टोला, पारा स्तर पर ग्राम सभा आहूत की जावेगी ,साथ ही ग्राम सभा की गणपूर्ति ग्राम सभा के 50%से होगी जिनमे एक तिहाई महिलाएं होना अनिवार्य है|
,वनाधिकार और कोर ग्रुप साथ के साथ पारंपरिक नजरी नक्शा तैयार कर वन संसाधनों को दर्शाते हुए वनाधिकार समिति के माध्यम से सामुदायिक अधिकार व वन संसाधन पर दावा करने के लिए ग्राम सभा प्रस्ताव पास किया जाएगा उसके उपरांत उपखंड स्तरीय को आवेदन प्रेषित करना होगा ।
विशिष्ट अतिथि इतवार सिंह मछिया ने बैगा पर्यावास के संबंध में बात रखते हुए बैगा जनजाति के लोगो को वनाधिकार व सामुदायिक पत्र दिलाने व उपस्थित आदिवासी भाइयो को एकजुट होने की बात कही |
अनिल बामने ने संगम महिला महिला समूहों की आजीविका पर उदाहरण देते हुए कहा की महिलाये आत्मनिर्भर होकर स्वयं से स्वरोजगार कर अपने आय के श्रोत को बढ़ा सकते है महिलाओ को प्रेरणा दी |
कार्यक्रम को जयदीप राबिन्सन ने भी संबोधित किया
उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने में अमृका प्रसाद साहू ,ओम्कारेश्वर शर्मा,राम बिहारी ,ओम प्रकाश साहू ,दिब्या भानु ,नन्द कुमार आर्मो ,सिमांचल आचारी,ईश्वर सिंह, 35 ग्राम के महिला समूहों व ग्रामीण जन का सहयोग रहा |
कार्यक्रम का सफल संचालन लक्ष्मी कुमार जायसवाल ने किया |