चन्द्रसेनी मन्दिर परिसर में शतचंडी यज्ञ कल से
चन्द्रसेनी मन्दिर परिसर में शतचंडी यज्ञ कल से
भुवन वर्मा बिलासपुर 20 दिसंबर 2020
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
चन्द्रपुर –पुरी शंकराचार्य द्वारा संस्थापित संगठन इस कोरोना महामारी संकटकाल में छत्तीसगढ़ के विभिन्न सिद्धस्थलों में आराधना अनुष्ठान के माध्यम से आध्यात्मिक चेतना जागृति का अभियान चला रही है। कवर्धा जिले में भोरमदेव मन्दिर , धमतरी स्थित श्रीहनुमान मन्दिर , माँ बमलेश्वरी परिसर डोंगरगढ़ , माँ महामाया परिसर रतनपुर , मदकूद्वीप सरगांव बिलासपुर , श्रीसुदर्शन संस्थानम शंकराचार्य आश्रम राँवाभाठा रायपुर में आचार्य शास्त्री के मार्गदर्शन एवं आचार्यत्व में आराधना अनुष्ठान पूर्व में आयोजित हुआ है, इसी श्रृंखला में श्री शतचंडी यज्ञ अनुष्ठान आराधना महोत्सव सनातन संस्कृति संरक्षण तथा महामारी संकट निवारण हेतु चंद्रपुर स्थित सिद्ध शक्ति पीठ श्री मां चंद्रहासिनी देवी मंदिर प्रांगण में कल 21 से 29 दिसंबर 2020 तक वैदिक विद्वानों के द्वारा गोवर्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य महाभाग की पावन कृपा के फलस्वरूप श्री शतचंडी आराधना यज्ञ समारोह तथा ललिता सहस्त्रनाम पाठ (सहस्त्रार्चन) का भव्यतम कार्यक्रम आयोजित है, यह पावन दिव्य समारोह में आचार्य झम्मन शास्त्री के मार्गदर्शन में संपन्न होगा। इस पावन कार्यक्रम में पीठ परिषद, आदित्य वाहिनी -आनंद वाहिनी, राष्ट्रोत्कर्ष अभियान के तत्वावधान में 25 दिसंबर (मोक्षदा एकादशी ) गीता जयंती महोत्सव के पावन अवसर पर दिव्य संगोष्ठी एवं सत्संग का कार्यक्रम आयोजित होगा। सभी धर्मप्रेमी भक्तों से कोरोना संकटकाल में समुचित दूरी बनाकर एवं मास्क लगाकर कार्यक्रम में उपस्थित होने तथा सर्वजन कल्याणार्थ कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना सहयोग प्रदान कर पुण्य लाभ प्राप्त करने हेतु धर्मसंघ पीठ परिषद, आदित्य वाहिनी, आनंद वाहिनी रायगढ़ छत्तीसगढ़ तथा मां चंद्रहासिनी देवी मंदिर सेवा समिति चंद्रपुर ने आह्वान किया है। गौरतलब है कि जाँजगीर चाँपा जिला के अन्तिम छोर में महानदी के तट पर एक ओर जहांँ महानदी अपने स्वच्छ जल से माता चंद्रसेनी के पांव पखारती है, वहीं दूसरी ओर माण्ड नदी क्षेत्र के लिये जीवनदायिनी से कम नहीं है। यह मंदिर माता के 52 सिद्ध शक्तिपीठों और छत्तीसगढ़ की प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस देवी की आकृति चन्द्रमा के समान होने के कारण यह देवी चन्द्रहासिनी या चन्द्रसेनी के नाम से जानी जाती है। माँ चन्द्रहासिनी के मंदिर परिसर में चीरहरण, महिषासुर वध, चारों धाम, नवग्रह की मूर्तियां, सर्वधर्म सभा, शेषनाग शय्या तथा अन्य देवी-देवताओं की भव्य मूर्तियांँ जीवन्त लगती हैं। इसके अलावा मंदिर परिसर में ही स्थित चलित झांकी महाभारत काल का सजीव चित्रण है, जिसे देखकर महाभारत के चरित्र और कथा की विस्तार से जानकारी भी मिलती है।