प्रधानमंत्री मोदी द्वारा विजय ज्योति यात्रा का शुभारंभ

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प्रधानमंत्री द्वारा विजय ज्योति यात्रा का शुभारंभ

भुवन वर्मा बिलासपुर 16 दिसंबर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली — भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1971 में हुये युद्ध के पचास साल होने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की शाश्वत लौ से स्वर्णिम विजय मशाल को प्रज्जवलित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने 1971 की युद्ध के जाँबाजों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ,सीडीएस बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों सहित वर्ष 1971 युद्ध के सैनिक भी मौजूद रहे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दें रहे थे उस वक्त भारत के सबसे आधुनिक विमान राफेल राजपथ पर फ्लाई पास्ट कर शहीद सैनिकों को श्रद्धांँजलि अर्पित कर रहे थे। इस दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर स्वर्णिम विजय वर्ष के लोगो (प्रतीक चिन्ह) का अनावरण किया।

पदक विजेताओं के गाँव तक जायेगी मशाल

इसके साथ ही पूरे साल तक चलने वाले स्वर्णिम विजय वर्ष समारोह की शुरुआत हुई। पीएम मोदी ने चार स्वर्णिम विजय मशाल प्रज्जवलित की। वीर जवानों को श्रद्धांजलि देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विजय दिवस’ के अवसर पर ‘विजय ज्योति यात्रा’ को राजधानी दिल्ली से रवाना किया। इस यात्रा में चार ‘विजय मशाल’ एक साल की अवधि में पूरे देश के छावनी क्षेत्रों का दौरा करेंगी , इनमें 1971 युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेता सैनिकों के गांँव भी शामिल हैं। इस दौरान युद्ध ‘दिग्गजों और वीर नारियों’ को सम्मानित किया जायेगा। इसके अलावा बैंड प्रदर्शन, सेमिनार, प्रदर्शनी, उपकरण प्रदर्शन, फिल्म समारोह, कॉन्क्लेव और साहसिक गतिविधियों जैसे कार्यक्रमों की योजना है। इन विजेताओं के गांवों के साथ-साथ 1971 के युद्ध स्थलों की मिट्टी को नई दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में लाया जायेगा। इस तरह यह मशाल यात्रा देश के अलग अलग छावनी क्षेत्रों से गुजरती हुई अगले साल नई दिल्ली में पूरी होगी।

क्यों मनाते हैं विजय दिवस ?

वर्ष 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुये जंग को आज 50 साल हो गये हैं। वर्ष 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ, जिसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तानियों को धूल चटा दी और बांग्लादेश नाम से एक नया देश विश्व के मानचित्र पर आया। तीन दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान ने लड़ाई की शुरुआत तो कर दी, लेकिन भारतीय सैनिकों के पराक्रम के आगे महज 13 दिनों में ही उन्हें घुटने टेकने पड़े। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को छठी का दूध याद दिला दिया था। इस युद्द में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को लोहे के चने चबाने पर मजबूर कर गौरवशाली जीत हासिल किया था। इसके बाद सैन्य इतिहास के सबसे तेज और सबसे छोटे अभियानों में से एक, भारतीय सेना द्वारा किए गए तेज अभियान के परिणामस्वरूप एक नए राष्ट्र का जन्म हुआ। पाकिस्तान ने इस युद्ध में करारी हार झेलने के बाद तत्कालीन सेना प्रमुख आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी ने अपने 93000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया था। इस युद्ध में पाकिस्तान पर विजय हासिल किये जाने की याद में इस दिन को हर साल ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
 
क्या है राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ?

भाजपा सरकार ने 2015 में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को मंजूरी दी थी , जो देश के सैनिकों को समर्पित है। पहली बार 1960 में सशस्त्र बलों ने नेशनल वॉर मेमोरियल को बनाने का प्रस्ताव दिया था। इंडिया गेट और अमर जवान ज्योति के पास ही ये नया स्मारक बनाया गया है। यह स्मारक स्वतंत्रता के बाद सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता का प्रतीक है।

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